अम्बिकापुर. जिला मुख्यालय में सडक सुरक्षा जीवन रक्षा के बैनर तले सडक सुरक्षा सप्ताह का समापन किया गया. पुलिस यातायात विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम कई सालों से शहर मे मनाया जाता है..और इस तरह के आयोजन को सुनकर हमेशा ये लगता है कि पुलिस वाले शासन के किसी कार्यक्रम की खानापूर्ति के लिए शहर मे दिखावा कर रहे हैं..लेकिन इस बार मीडिया की निगाहो के पीछे इस अभियान को सफल बनानें वाले एक ऐसे पुलिसकर्मी सामने आए हैं..जो कला और संस्कृति के माध्यम से लोगो को जीवन रक्षक हेलमेट की उपयोगिता बता रहे हैं.
छत्तीसगढ मे 31 वां सडक सुरक्षा सप्ताह का शुभारंभ हुआ. 11 से 17 जनवरी तक आय़ोजित सडक सुरक्षा सप्ताह मे नियम कायदो औऱ गाईड लाईन के हिसाब से कई आय़ोजन किए. इस दौरान जिले के स्कूल कालेज मे अलग अलग कार्यक्रम संगोष्ठी, जागरुकता कार्यक्रम के साथ ही यातायात जागरुकता रथ के माध्यम से गांव और शहर मे यायाताय नियमो का पालन करने की अलख भी जगाई गई.. साथ ही सडक सुऱक्षा सप्ताह के समापन मे पुलिस विभाग ने लांयस क्लब की मदद से हेलमेट ना खरीद पाने वाले 100 जरुरतमंद बाईक मालिको को हेलमेट भी दिए. कुल मिलाकर सरगुजा पुलिस के आला अधिकारी आयोजन की सफलता को लेकर खुश नजर आए.
सडक सुरक्षा सप्ताह मे सरगुजा पुलिस द्वारा किए उस आयोजन की बात हुई. जो पुलिस मेनियुअल के मुताबिक पुलिस को करना ही होता है.और पुलिस इस कर्तव्य का निर्वहन बखूबी निभा रही है. लेकिन इस पुलिस की इस जिम्मेदारी मे चयन साय किस्पोट्टा नाम का भी एक सख्स है. जो सरगुजा पुलिस मे हेड कांस्ट्रेबल के पद पर तैनात हैं और छत्तीसगढ सरकार के द्वारा हर जिले मे तैयार किए यातायात जागरुकता रथ मे पूरे साल भर तैनात रहता हैं.. और दूसरे पुलिस कर्मी जो काम केवल सडक सुरक्षा सप्ताह मे करते हैं वो काम चयन साय हमेशा करते हैं. लेकिन खास बात है कि वो लोगो की जिंदगी को बचाने के लिए स्थानिय भाषा मे खुद के लिखे लोक गीतों के माध्यम से जागरुक कर रहे हैं.
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