अम्बिकापुर। राष्ट्रीय उरांव संस्कृति सुरक्षा मंच ने ईसाई समाज द्वारा कराए जा रहे “मिस्टर एवं मिस आदिवासी (कुड़ुख) छत्तीसगढ़, प्रतियोगिता” का खुलकर विरोध शुरू कर दिया है। मंच के लोगो ने बिशप हाउस मे आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम को आदिवासियों की परंपरा के विपरीत बताते हुए। आयोजनकर्ताओ के खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की है। साथ ही आयोजन पर रोक लगाने की मांग भी की है। जानकारी के मुताबिक़ इस आयोजन मे प्रदेश के खाद्य मंत्री मुख्य अतिथि के रूप मे शामिल होने वाले है।
राष्ट्रीय उरांव संस्कृति सुरक्षा मंच ने कलेक्टर को इस संबंध में ज्ञापन सौंपकर बताया है कि-
30 अगस्त और 6 अगस्त को आयोजित “मिस्टर एवं मिस आदिवासी (कुडुख) छत्तीसगढ़, प्रतियोगिता,” जो बिशप हाऊस, नवापारा, अम्बिकापुर चर्च द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
1. ईसाई धर्म को मानने वाले लोग है और बिशप हाऊस (चर्च). नवापारा अम्बिकापुर द्वारा हमारे कुडुख समाज की संस्कृति, परम्परा एवं रूढ़ि प्रथा के विपरित हमारी भावना को आहत करते हुए यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
02. उनके द्वारा हमारे मूल वंश में आदिकाल से चली आ रही धर्म, परम्परा और संस्कृति को विकृत एवं नष्ट करने के उद्देश्य से उक्त तथाकथित आयोजन किया जा रहा है, जो हमारे समाज में व्याप्त आपसी सौहार्द को बिगाड़ने वाला और नष्ट करने वाला आयोजन है। साथ ही साथ इससे आपसी शत्रुता एवं वैमनस्यता भी फैलने के आसार है, जबकि हमारे प्रदेश छत्तीसगढ़ में भी ऐसे कार्यक्रम की परम्परा नहीं है और न कभी हुआ है, जो भारतीय संविधान की अनुच्छेद 13 उपनियम 3(क) का भी उल्लंघन है।
03. चुकी विषयांकित ईसाई धर्म को मानने वाले है उन्हें इस प्रकार का कार्यक्रम करने का अधिकार प्राप्त नहीं है। यह व्यक्तिगत जानबूझकर एक साजिश एवं घड्यन्त्र के तहत हमारी मूल भावना के विपरित हमारी संस्कृति को नष्ट छिन्न-भिन्न और भ्रष्ट करने का कुत्सित प्रयास कर रहे है और इस आयोजन के पीछे उनके द्वारा मतांतरण का भी प्रयास किया जा रहा है।
04. धुमकुडिया, कुडुख (उरांव) जनजाति समाज का धार्मिक मान्यता के साथ-साथ संस्कार, संस्कृति का केन्द्र बिन्दु है. ऐसी शब्द का प्रयोग एवं कार्यक्रम आयोजित कर रूढ़ि प्रथा के मानने वाले लागों की भावनाओं को ठेस पहुँचाया जा रहा है। इस तरह के कार्यक्रम से वर्ग विभेद फैलने की आशंका है।
- यह कि, उनके द्वारा किये जा रहे आयोजन से हमारी संस्कृति परम्परा, रूढ़ि प्रथा को विकृत एवं नष्ट किये जाने का प्रयास किया जा रहा है, जो भारतीय दण्ड विधान की धारा 153 (ख) के तहत दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आता है।
ये प्रतियोगिता है अयोजित-