छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण पर नहीं थम रहा बवाल, धर्मांतरण की गतिविधियों पर त्वरित कार्यवाही के लिए गौरव समाज ने कलेक्टर को दिया ज्ञापन…

Surguja News: छत्तीसगढ़ में ईसाई और आदिवासियों के बीच हुए संघर्ष से बवाल बढ़ता ही जा रहा है। इस मामला पर कई संगठन अब छत्तीसगढ़ सरकार से धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। आदिवासियों का अवैध रूप से धर्मांतरण रोकने के लिए राज्य सरकार से कठोर कानून बनाने की मांग उठ रही हैं। इसी क्रम में जनजाति गौरव समाज सरगुजा द्वारा सोमवार (9 जनवरी) को कलेक्टर सरगुजा को ज्ञापन सौंपा गया। इसका समर्थन विश्व हिन्दु परिषद सरगुजा और धर्म जागरण समन्वय सरगुजा ने भी दिया।

बता दें कि, नारायणपुर में धर्मान्तरित ईसाइयों के द्वारा अनुसूचित जनजातिय की श्रेणी में आने वाले नागरिकों पर प्राण घातक हमले किए गए थे। धर्मान्तरित ईसाइयों के द्वारा की गई, यह कोई पहली हिंसक घटना नहीं हैं। इससे पूर्व में भी देश-प्रदेश में ऐसी घटनाएं देखी जा चुकी हैं। ईसाईयों के द्वारा की जा रही, इस तरह की घटनाओं के परिणाम समूचे छत्तीसगढ़ में सामाजिक विद्वेष की स्थिति बन चुकी हैं। धर्म परिवर्तन की बढ़ती घटनाओं ने क्षेत्रीय अस्तित्व को भी संकट में डाल दिया हैं। इसके चपेट में अब छत्तीसगढ़ की संस्कृति भी खतरे में हैं। ईसाइयों के बढते प्रभाव वाले क्षेत्रों में सामुदायिक सौहार्द्र भी बिगड़ने लगा हैं, और इससे प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न हो रहा हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसे मिसाल देखे जा रहे हैं कि, कैसे धर्मान्तरित समूहों की जनसंख्या में अप्रत्याशित वृद्धि ने क्षेत्रीय अशांति, अस्थिरता के साथ-साथ कट्टरपंथ एवं अलगाव की भावना को भी जन्म दिया हैं। छत्तीसगढ़ में भी अनेक हिस्सों में हुए सामाजिक तनाव की स्थितियों ने इस ओर संकेत दिए हैं कि, प्रदेश में साम्प्रदायिक और कट्टरपंथी शक्तियां अपना विस्तार कर रही हैं।

छत्तीसगढ़ में मिशनरी समूह द्वारा जिस प्रकार से हिन्दू समाज के लोगों को विभिन्न माध्यमों से धर्मान्तरित किया जा रहा हैं। इसमें हिन्दू समाज को कमजोर करने का योजनाबद्ध षड्यंत्र हैं। ईसाई मिशनरियों के द्वारा किए जा रहे इन अनैतिक कृत्यों के कारण प्रदेश में सामाजिक वैमनस्यता का स्तर इतना अधिक हो चुका हैं कि, छोटे-छोटे गांवों में भी साम्प्रदायिक हिंसा की घटना देखी जा रही हैं। प्रदेश में धर्मान्तरित ईसाईयों के बढ़ते प्रभाव के दुष्परिणाम भी दिखाई दे रहा हैं। प्रदेश के उत्तर से लेकर दक्षिण तक सामाजिक तनाव की स्थिति लगातार बन रही हैं। जिसके कारण समाज को अनेक प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा हैं। यह सभी घटनाएं इस ओर संकेत कर रहीं हैं कि, समय रहते इन पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो ये घटनाएं केवल छत्तीसगढ़ प्रदेश को ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर पूरे देश को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेंगी और इसके दुष्परिणाम पूरे देश के लिए घातक होंगे। इलाक़े में धर्मांतरण की चल रही तमाम गतिविधियों पर त्वरित कार्रवाई करते हुए इस पर तत्काल रोक लगाई जाए। साथ ही, धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए ठोस कानून बनाया जाए। यह भी कहा गया कि धर्मान्तरण की अवैध गतिविधियों में सम्मिलित लोगों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि छत्तीसगढ़ प्रदेश को किसी भी होने वाली साम्प्रदायिक हिंसा व तनाव में जाने से रोक लग सकें और प्रदेश में शांति व स्थिरता बनी रहे।

इस दौरान बंशीधर उरांव, इन्दर भगत, जगना राम प्रधान, उमेश किस्पोट्टा, सालिम केरकेट्टा, हीरा सिंह टेकाम, गौरंगों सिंह, राजेश तिवारी, अरविंद मिश्रा, रामसेवक साहू, अशोक अग्रवाल, विनीत गुप्ता, अनुज सिंह, आदित्य गुप्ता, संजीत गुप्ता, वीरेंद्र ठाकुर, सियाराम गिरी, अभय सिंह, संदीप तिवारी, धर्मेंद्र सिंह, विकाश शर्मा, सोनू केशरी, जितेंद्र सिंह, दीपक सोनी, अविनाश तिवारी, मनोज यादव, योगेश गुप्ता, चीनी गुप्ता, सिकंदर,आशा जयसवाल, ओमी शर्मा, अमरेंद्र गुप्ता, सतीश मिश्रा, विजय गोयल और जगेश्वर यादव मौजूद रहें।