
बस्तर। माओवादी हिंसा से प्रभावित बस्तर में शांति और पुनर्वास की दिशा में आज ऐतिहासिक सफलता दर्ज की गई। “पूना मारगेम: पुनर्वास से पुनर्जीवन” पहल के तहत शुक्रवार 28 नवंबर 2025 को कुल 10 माओवादी कैडरों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का संकल्प लिया। इनमें दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZC) के वरिष्ठ सदस्य और 25 लाख रुपये इनामी चैतू उर्फ़ श्याम दादा भी शामिल हैं, जिन्हें लंबे समय से माओवाद की शीर्ष कमान का रणनीतिक चेहरा माना जाता रहा है।
पुनर्वास कार्यक्रम शौर्य भवन, पुलिस कोऑर्डिनेशन सेंटर, लालबाग, जगदलपुर में संपन्न हुआ, जहां सभी माओवादी कैडरों ने शांति, गरिमा और विकास के मार्ग पर आगे बढ़ने का दृढ़ निश्चय जताया। यह उपलब्धि बस्तर पुलिस, जिला प्रशासन, केंद्रीय सुरक्षा बलों और स्थानीय समाज के सतत समन्वित प्रयासों का परिणाम मानी जा रही है, जिसने क्षेत्र में जनविश्वास और सकारात्मक बदलाव को नई गति दी है।
पुलिस महानिरीक्षक बस्तर रेंज सुन्दरराज पट्टिलिंगम ने कहा कि “पूना मारगेम” बस्तर में स्थायी शांति और समग्र प्रगति की दिशा में एक परिवर्तनकारी पहल के रूप में उभर रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आज वरिष्ठ कैडर सहित 10 माओवादियों का पुनर्वास इस बात का संकेत है कि हिंसक और जनविरोधी विचारधारा का प्रभाव तेजी से कमजोर पड़ रहा है और लोग विकास के रास्ते को अपना रहे हैं। उन्होंने शेष सक्रिय माओवादी नेताओं, पोलित ब्यूरो सदस्य देवजी, केंद्रीय समिति सदस्य रामदर, DKSZC सदस्य पापाराव, देवा सहित अन्य को भी हिंसा छोड़कर लौटने का अवसर अब भी खुला होने का संदेश दिया।

कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक बस्तर शलभ सिन्हा, डीआईजी दंतेवाड़ा कामलोचन केश्यप, डीआईजी CRPF अरुल कुमार, कलेक्टर हरिस एस., एसपी दंतेवाड़ा गौरव राय, एसपी STF स्मृतिक राजनल्ला, केंद्रीय सुरक्षा बलों के कमांडेंट, बस्तर पुलिस के अधिकारी, जिला प्रशासन के प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में समाजजन एवं मीडिया मौजूद रहे।
जानकारी के अनुसार 1985 में CPI (माओवादी) संगठन में शामिल हुए 63 वर्षीय चैतू उर्फ़ श्याम दादा ने प्रारंभ में दलम सदस्य के रूप में काम किया। बाद में वे कमांडर, डिविजनल कमेटी सदस्य और 2007 में DKSZC के सदस्य बने। हाल ही में वे दर्भा डिवीजन के इंचार्ज के रूप में सक्रिय थे। उनका आत्मसमर्पण सुरक्षा और विकास आधारित बस्तर मॉडल की सबसे बड़ी उपलब्धियों में गिना जा रहा है।
इस पुनर्वास कार्यक्रम में शामिल 10 माओवादी कैडरों की सूची इस प्रकार रही चैतू उर्फ श्याम दादा (25 लाख), सरोज उर्फ मल्कू सोढ़ी (8 लाख), भूपेश उर्फ सनक राम फुरामी, प्रकाश उर्फ फिल साय सलाम, कमलेश उर्फ झितरू यादव, जन्नी उर्फ रायमती सलाम, संतोष उर्फ सन्नू आचला, रामशीला उर्फ बुकली सलाम, नवीन उर्फ भाजू सलाम और जयति उर्फ मनाई कश्यप। इनमें पद और इनाम राशि 1 लाख से 25 लाख तक की श्रेणी में रही।
बस्तर पुलिस और प्रशासन का कहना है कि “पूना मारगेम” के चलते न केवल सुरक्षा की स्थिति बेहतर हुई है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में विश्वास और विकास की धारा भी तेज़ी से प्रवाहित हो रही है। शांति की इस यात्रा को आगे बढ़ाने हेतु पुनर्वास नीति को और अधिक प्रभावी और संवेदनशील बनाने की दिशा में प्रयास जारी रहेंगे।
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