कोरिया. जिले के मनेंद्रगढ़ में मंगलवार को कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक का जन्मदिन मनाया जाएगा. आयोजन के मद्देनजर गुरुद्वारा में व्यापक व्यवस्था की जा रही है.
इस संबंध में समिति के सदस्यों ने बताया कि 11 नवम्बर को प्रातः 10.30 बजे गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा मे जन्मोत्सव मनाया गया. इसके बाद रात्रि 8 से 10 बजे तक शब्द कीर्तन किया जाएगा. आयोजन की कड़ी में 12 नवम्बर मंगलवार को प्रातः 10 से 2 बजे तक शबद कीर्तन का आयोजन किया जाएगा. मुख्य आयोजन मंगलवार को होगा..जहां रात्रि 7 बजे से 11:30 बजे तक जयन्ती मनाई जाएगी. आयोजन को लेकर गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा द्वारा व्यापक तैयारियां की जा रही हैं.
गौरतलब है कि 15 अप्रैल 1469 को पंजाब के तलवंडी जो कि अब पाकिस्तान में हैं. जिसे ननकाना साहिब के नाम से भी जाना जाता है. वहां गुरु नानक ने माता तृप्ता व कृषक पिता कल्याणचंद के घर जन्म लिया. गुरू नानक जी की जयंती गुरुपूरब या गुरु पर्व सिख समुदाय में मनाया जाने वाला सबसे सम्मानित और महत्त्वपूर्ण दिन है. गुरू नानक जयंती के अवसर पर गुरु नानक जी के जन्म को स्मरण करते हैं. नानक सिखों के प्रथम (आदि गुरु) हैं. इनके अनुयायी इन्हें नानक, नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह नामों से संबोधित करते हैं. लद्दाख व तिब्बत में इन्हें नानक लामा भी कहा जाता है. नानक दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाजसुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबंधु – अनेक गुण अपने आप में समेटे हुए थे.
गुरु नानक देव जी ने भक्ति के अमृत भक्ति रस के बारे में बात की. गुरुजी भक्ति योग में पूरी तरह से विसर्जित एक भक्त थे. गुरु नानक देव जी ने कहा, “सांसारिक मामलों में इतने भी मत उलझों कि आप ईश्वर के नाम को भूल जाओ. उन्होंने सनातन मत की मूर्तिपूजा के विपरीत परमात्मा की उपासना का एक अलग मार्ग प्रसस्त किया. नानकजी ने हिंदू धर्म मे फैली कुरीतियों का सदैव विरोध किया. उनके दर्शन सूफियों जैसे थे. साथ ही उन्होंने तत्कालीन राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक स्थितियों पर भी नज़र डाली. संत साहित्य में नानक उन संतों की श्रेणी में हैं जिन्होंने नारी को बड़प्पन दिया है. गुरूजी के उपदेश का सार यही है कि ईश्वर एक है उसकी उपासना हिंदू तथा मुसलमान दोनों के लिये है.