• गोंडी, हल्बी एवं स्थानीय भाषाओं के माध्यम से माओवादियों की काला कारनामा को करेगा उजागर
• ‘‘बस्तर त माटा’’ एवं ‘‘बस्तर चो आवाज’’ के नाम से प्रारंभ की जा रही जन जागरूकता का यह अभियान के माध्यम से शीर्ष माओवादियों नेताओं की विकास विरोधी एवं आदिवासी विरोधी मानसिकता होगी बेनकाब
बस्तर। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के पश्चात् जनसहयोग से नक्सल आतंक को समाप्त करना बस्तर पुलिस की सर्वोत्तम प्राथमिकता रहा। कुछ महिनों से बस्तर स्थानीय पुलिस बल एवं केन्द्रीय सुरक्षाबलों द्वारा माओवादियों के आतंक के विरूद्ध यह लड़ाई निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। शासन की माओवादियों के हिंसा के विरूद्ध ‘‘विश्वास-विकास-सुरक्षा’’ के त्रिवेणी कार्ययोजना की सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहा है।
पुलिस महानिरीक्षक, बस्तर रेंज श्री सुंदरराज पी. का मानना है कि नक्सली के विरूद्ध अंदरूनी क्षेत्र में की जा रही प्रभावी नक्सल विरोधी अभियान के साथ-साथ माओवादियों की विकास विरोधी एवं जनविरोधी चेहरा को उजागर करना अत्यंत आवष्यक है। इसी उद्देश्य से माओवादियों के विरूद्ध प्रति प्रचार युद्ध जारी की जा रही है।
बैनर, पोस्टर, लघु चलचित्र, ऑडियों क्लिप, नाच-गाना, गीत-संगीत एवं अन्य प्रचार प्रसार के माध्यम से माओवादियों की काला कारनामों को उजागर किया जायेगा। स्थानीय गोंडी भाषा ‘‘बस्तर त माटा’’ एवं हल्बी भाषा में ‘‘बस्तर चो आवाज’’ के नाम से प्रारंभ की जा रही यह अभियान के माध्यम बस्तरवासियों की विचारों को बाहर के दुनिया तक पहुंचाया जाएगा।
पुलिस महानिरीक्षक, बस्तर रेंज ने कहा कि इस अभियान के माध्यम से स्थानीय नक्सल मिलिशिया कैडर्स एवं नक्सल सहयोगियों को हिंसा त्याग कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए आत्मसमर्पण हेतु प्रेरित करेगा।