[highlight color=”red”]अम्बिकापुर[/highlight]
सरगुजा जिले की आदिवासी बालिका ‘‘सुहानी’’ को गांव के ही एक युवक द्वारा शादी के बहाने दिल्ली ले जाया गया। दिल्ली पहुॅचकर युवक ने सुहानी को अपने रिष्तेदार को सौंप दिया और गांव वापस आ गया। सुहानी दिल्ली के ही एक परिवार में रहकर घरेलू कामकाज करने लगी। इस घर में सुहानी बहुत खुष थी। इसी बीच छुट्टी लेकर सुहानी दिल्ली से वापस अपने गांव आ गयी। सुहानी जब दुबारा दिल्ली गई तो उसे पता चला कि जहां वह काम कर रही थी, वहां किसी और को रख लिया गया है। सुहानी दिल्ली में प्लेसमेन्ट एजेन्सी के माध्यम से पड़पड़गंज के एक परिवार में घरेलू कामकाज करने लगी। इस परिवार द्वारा उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता था तथा घर से बाहर भी नहीं निकलने दिया जाता था। घर वाले सुहानी को मजदूरी भी नहीं देते थे। इस कारण वह बहुत परेषान थी।
सुहानी मौका पाकर जनवरी 2016 में पड़पड़गंज स्थित घर से बाहर निकली और कोई अन्य आश्रय नहीं होने के कारण इधर-उधर भटकती रही। इसी दौरान एक महिला ने सुहानी को बालिका गृह संस्कार आश्रम दिलषाद गार्डन में भर्ती कराया। सुहानी इसी आश्रम में पांच माह तक रही, किन्तु उसने अपने बारे में संस्था को कोई जानकारी नहीं दी। इसी दौरान स्वैच्छिक संस्था ‘‘माई होम इण्डिया’’ के माध्यम से बाल कल्याण समिति दिलषाद गार्डन द्वारा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य श्री यषवंत जैन को सुहानी के बारे में जानकारी दी गई। श्री जैन द्वारा छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में सुहानी की पतासाजी की गई। चाईल्ड लाईन के माध्यम से सुहानी के सरगुजा जिले का निवासी होने का पता चला।
सरगुजा कलेक्टर श्री भीम सिंह के निर्देषानुसार महिला एवं बाल विकास के कार्यक्रम अधिकारी श्री सी.एस. सिसोदिया ने जिला बाल संरक्षण इकाई एवं चाईल्ड लाईन की संयुक्त टीम बनाकर सुहानी की घर वापसी हेतु दिल्ली भेजा। बाल कल्याण समिति दिलषाद गार्डन द्वारा बालिका को परिवार को सौंपा गया तथा दिल्ली के जिस घर में सुहानी काम करती थी, उसके मकान मालिक को घरेलू कार्य दिवस के अनुसार उचित मजदूरी निर्धारित करते हुए तत्काल भुगतान करने के निर्देष दिये गये। गौरतलब है कि आॅपरेषन मुस्कान 2 के तहत बाल कल्याण समितियांे द्वारा बच्चों को उनके परिवार से मिलाने का कार्य किया जाता है।
सुहानी की तरह जिले के दूसरे बच्चे भी अन्य स्थानों पर कोई कामकाज करते हुए परेषानी में हो सकते है। इसी बात को दृष्टिगत रखते हुए जिला प्रषासन द्वारा ऐसे बच्चों के चिन्हांकन के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर मानव तस्करी निषेध सह सतर्कता समिति का गठन किया गया है। इस सतर्कता समिति द्वारा पंचायत से बाहर जाने वाले तथा पंचायत में आने वाले नये व्यक्तियों के लिए पंजी का संधारण किया जाता है। गौरतलब है कि ‘‘सुहानी’’ बालिका का परिवर्तित नाम है।
कलेक्टर श्री भीम सिंह ने विभिन्न कारणों अथवा मजबूरी के कारण घर से बाहर रहने वाले बच्चों से आग्रह किया है कि वे किसी भी माध्यम से चाईल्ड लाईन अथवा जिला प्रषासन को सूचना देकर अपनी घर वापसी सुनिष्चित करा सकते हैं। उन्होंने बताया है कि जिन परिवारों के बच्चे अपने घरों से गायब हंै, वे बाल कल्याण समिति से सम्पर्क कर अपने बच्चों के बारे में बता सकते है। बाल कल्याण समिति द्वारा गुमषुदा बच्चों को उनके परिवारों से मिलाने हेतु हर संभव प्रयास किया जायेगा। ऐसे बच्चों की सहायता के लिए चाईल्ड लाईन के टोल फ्री नंबर 1098 पर सम्पर्क किया जाता सकता है।