अम्बिकापुर. जिस गांव मे बने बांध से पूरे शहर के लोग पानी पीते हों. जिस गांव से होकर शहर को पानी सप्लाई करने वाली पाईप लाईन जाती हो अगर उसी गांव के लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हों, तो फिर कोरोना संकट के दौर मे कई और गंभीर बिमारी के संकट से बच पाना मुश्किल ही नहीं नामुकिन है. दरअसल ये समस्या प्रदेश के स्वास्थ मंत्री के गृह शहर अम्बिकापुर से लगे खुदीपारा गांव की है. जहां लोग हर मौसम मे झरिया का दूषित पानी पीने को मजबूर है.
सरगुजा संभाग मुख्यालय से कुछ ही दूर पर खैरबार इलाके मे बांकी डेम है. जिसका पानी शहर के करीब 2 लाखो लोगो की प्यास बुझाता है. लेकिन विडंबना ये है कि इस इलाके के खुदीपारा बस्ती के लोग आज भी प्राकृतिक जल स्त्रोत का वही पानी पीने को मजबूर हैं, जिसको इंसान के साथ पशु भी पीते हैं. दरअसल खुदीपारा बस्ती मे शासन प्रशासन ने कई साल पहले एक हैंडपंप लगवाया था, जिसमे फ्लोराईड युक्त लाल पानी निकलने से गांव के लोगो ने उसका पानी पीना छोड दिया. इधर गांव के लोगो के मुताबिक गांव के करीब 500 लोग दो दशक से भी ज्यादा समय से करीब डेढ किलोमीटर दूर बीहड मे जाकर एक प्राकृतिक जल स्त्रोत झरिया का पानी पीने को मजबूर हैं.
संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर से करीब पांच किलोमीटर दूर स्थित खैरबार इलाके के खुदीपारा नगर निगम की सीमा से लगा गांव है. और इसी गांव के पास स्थित बांकी डेम से पाईप लाईन के माध्यम से शहर को पानी सप्लाई करने वाले तकिया फिल्टर प्लांट तक पानी पहुंचाया जाता है. लेकिन इसी गांव के लोग का दुर्भाग्य है कि मौसम चाहे बरसात का हो या फिर गर्मी का, इनको तो पहाडो से रिसकर आने वाले झरिया का पानी ही नसीब होता है. हांलाकि गांव के खराब हैंडपंप की शिकायत अधिकारियो से कई बार हुई. लेकिन नतीजा यही है कि आज भी खुदीपारा बस्ती के लोगो को गंदा बिमारी युक्त पानी पीना पड रहा है.
ऐसा नहीं कि खैरबार इलाके के खुदीपारा औऱ आस पास के अन्य गांव मे पीने के पानी की समस्या की जानकारी अधिकारियो को नहीं है. अधिकारियो को पूरी जानकारी होने के बाद भी वो इस मामले मे हाथ मे हाथ धरे बैठे हैं. इधर इस मसले को लेकर जब हमने अम्बिकापुर जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुरेश्वर तिवारी का पक्ष जानने पहुंचे. तो उनको ये भी सुध आ गई है कि लाल पानी उगलने वाले हैंडपंप को भी ठीक करवाया जा सकता है और स्वच्छ पानी की व्यवस्था के औऱ भी इंतजाम किए जा सकते हैं. इतना ही नहीं सीईओ साहब ने पीएचई विभाग को भी पत्र लिखने का बहाना बनाया है.
अम्बिकापुर छत्तीसगढ के स्वास्थ एंव पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री का गृह जिला है. ऐसे मे अगर अधिकारी पंचायत ग्रामीण विकास के कार्यो मे ही लापरवाही करेगें तो फिर शासन प्रशासन के तमाम दावों पर सवाल उठना लाजमी है. बहरहाल अगर गांव वालो के दावे सही हैं तो फिर अचंभा की बात है कि छत्तीसगढ के महानगरो मे शुमार अम्बिकापुर के समीप स्थित गांव के लोग आज भी पहाडो से रिसने वाला पानी पीने को मजबूर हैं.