अम्बिकापुर. छत्तीसगढ समेत समूचा देश जहां कोरोना जैसे घातक वायरस से जंग लड रहा है. तो वही छत्तीसगढ के सरगुजा जिले मे एक स्कूल प्रबंधन स्कूल फीस वसूलने के लिए परिजनो पर दबाव बना रहा है. जिला मुख्यालय का ये स्कूल अपने नापाक कारनामो के लिए पहले भी सुर्खियो मे रह चुका है. लेकिन शासन प्रशासन हमेशा इसकी करतूत को नजरअंदाज करता रहा है. ऐसे मे इस बार महामारी की जंग से लड रहे परिजनो के सामने फीस जमा करने की नई समस्या खडी हो गई है.
अम्बिकापुर के दक्षिणी रिंग रोड के नमनाकला इलाके मे संचालित कार्मेल स्कूल प्रबंधन ने आज 27 मार्च को सैकडो परिजनो के मोबाईल मे ये मैसेज भेज दिया कि आपका बच्चा अलगी क्लास मे पहुंच गया है. इसलिए अपने बच्चे के फीस का पहला स्टालमेंट जमा करें. इतना ही नहीं इस मैसेज मे ये भी निर्देश दिए गए हैं कि बच्चो की फीस स्कूल मोबाईल ऐप, पैरेंट पोर्टल, जैसे माध्यम से जल्द जमा करें. क्योकि आप का बच्चा अगली क्लास मे पहुंच गया है.
देश के साथ छत्तीसगढ सरकार और प्रदेश की जनता जब कोरोना जैसी वायरस के बचने के लिए अपने अपने घरो मे दुबके हैं. तो ऐसे मे समय मे शहर के इस तथाकथित नामी स्कूल की ये करतूत किसी भी अभिवावक को समझ नहीं आ रही है. गौर करने वाली बात है कि इस फीस मे अगर केवल एडमीशन फीस का जिक्र होता तो बात अलग हो सकती थी. लेकिन स्कूल के पोर्टल मे एक बच्चे की फीस मे जिन सुविधाओ की फीस भरने के निर्देश हैं. उनमे मेंटेनेंस फीस, एक्जाम फीस, गार्डेन फीस, हेल्थ फीस, रेडक्रास फीस, लाईब्रेरी फीस, पुअर फंड, पेरीओडिकल फीस, एक्टिविटी फीस, ट्यूशन फीस, स्मार्ट क्लास फीस जैसे फीसों का उल्लेख किया गया है.
इतना ही नहीं आपकी जानकारी के मुताबिक अगर आप इनके पोर्टल के माध्यम से फीस जमा करते हैं. तो फिर आपको फीस के अलावा 100 से 150 रूपए तक अतिरिक्त लग सकता है. इसलिए ज्यादातर अभिभावक बैंक के माध्यम से फीस जमा करते हैं. लेकिन शायद स्कूल प्रबंधन को पता है कि लाक डाउन के कारण अभिवावक बाहर तो नहीं निकल पाएगें. इसलिए पोर्टल से फीस जमा करने पर स्कूल प्रबंधन को लाखो रूपए का फायदा मिल जाएगा.
गौर करने वाली बात है कि अभिवावक अच्छी तालीम के चक्कर मे अक्सर अपने बच्चो का इसी स्कूल मे दाखिला करा देता है. क्योकिं शहर मे दो चार संस्थाओ की ख्याति के कारण अभिवावको को बांकी स्कूल की शिक्षा दिक्षा पर भरोसा नहीं रहता है. जिसका फायदा उठाते हुए ये स्कूल प्रबंधन अपनी मनमानी करता है. और इसी मनमानी का नतीजा है. कि पूरे देश भर मे लाक डाउन के बाद भी इस स्कूल प्रबंधन का रूख इतना अडियल है कि अब अभिवावक स्कूल प्रबंधन के इस फरमान पर कैसे अमल करें. क्योकि इस स्कूल मे सिर्फ सरकारी अधिकारियों या बडे कारोबारियों के बच्चे ही नहीं पढते हैं. उन लोगो के बच्चो भी पढते हैं. जो निजी संस्थाओ मे काम करके अपना गुजर बसर कर रहा है. बहरहाल शहर की ये स्कूल इससे पहले भी अभिवावको औऱ बच्चो से बदसलूखी के साथ फीस के मामले मे सुर्खियों मे रहा है. तो ऐसे मे देखना होगा कि राज्य सरकार, जिला प्रशासन या फिर स्कूल शिक्षा विभाग ऐसी परिस्थियो मे अभिवावको की समस्या पर नजरें इनायत करता है. या फिर पहले की तरह कुछ ना करके स्कूल प्रबंधन को ऐसा ही फिर से करने के लिए बढावा देता है.
इस संबंध में जब हमनें जिला शिक्षा अधिकारी आईपी गुप्ता से बात की तो उन्होंने कहा.. की अगर हमारे पर कोई गार्जियन लिखित शिकायत करेगा. तो मैं इन लोगों के ऊपर कार्रवाई के लिए नोटिस जारी करूँगा. अभी तक मेरे पास कोई शिकायत ही नहीं आई है. शिकायत आएगी तो इसे रोकूंगा.