Surajpur News: छत्तीसगढ़ में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हो चुकी है. विद्यार्थी स्कूल जाना शुरू कर दिए हैं. 10वीं पासआउट बच्चे अपने रुचि के हिसाब से विषय का चयन कर आगे की पढ़ाई करने की तैयारी कर रहे है. लेकिन सूरजपुर जिले में स्थित एक हाई स्कूल प्रबंधन की मनमानी ने कई बच्चों को टेंशन में डाल दिया है. दरअसल, स्कूल प्रबंधन 10वीं पास हो चुके बच्चों को ट्रांसफर सर्टिफिकेट नहीं दे रहा है. प्रबंधन की ओर से यह कहा जा रहा है कि इस वर्ष से हायर सेकंडरी की कक्षाएं लगेंगी, इसलिए यहीं पढ़ाई करना होगा. स्कूल प्रबंधन के इस फरमान ने कई छात्रों को टेंशन में डाल दिया है. क्योंकि जिस हाई स्कूल की प्रिंसिपल कह रही है कि इस वर्ष से यहां हायर सेकंडरी की कक्षाएं लगेंगी. वहां सिर्फ कृषि (Agriculture) संकाय की कक्षाएं ही लगने वाली है. ऐसे में जो छात्र-छात्राएं अपनी रुचि के हिसाब से आर्ट्स, कॉमर्स, साइंस या अन्य विषय से पढ़ाई करना चाहते है. वे परेशान हैं, क्योंकि उन्हें स्कूल की प्रिंसिपल ट्रांसफर सर्टिफिकेट नहीं दे रही है. उनके द्वारा कहा जा रहा है कि यही पढ़ाई करना होगा.
दरअसल, मामला सूरजपुर जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर रामनगर गांव का है. यहां पिछले एक दशक से ज्यादा समय से शासकीय हाई स्कूल का संचालन किया जा रहा है. यहां इस वर्ष से हायर सेकंडरी की कक्षाएं शुरू हो रही है. लेकिन 11वीं और 12वीं में सिर्फ कृषि संकाय की पढ़ाई होगी. ऐसे में जो छात्र-छात्राएं शैक्षणिक सत्र 2022-23 में 10वीं पास आउट हुए है. इनमें से कुछ आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस संकाय लेकर पढ़ाई करना चाहते है. तो उन्हे ट्रांफसर सर्टिफिकेट की आवश्कता है. जिससे वे किसी दूसरे स्कूल में अपने मन पसन्द विषय लेकर आगे की पढ़ाई करना चाहते है. लेकिन हाई स्कूल प्रबंधन उन्हें टीसी देने में आनाकानी कर रहा है. स्कूल की प्रिंसिपल द्वारा कहा जा रहा है कि इस वर्ष हायर सेकंडरी की कक्षाएं लगेंगी. यहीं पढ़ाई करना है.
अब सवाल यह है कि जो छात्र-छात्राएं कृषि संकाय नहीं पढ़ना चाहते. उन्हें किसी और विषय में रुचि है तो उन्हे टीसी क्यों नहीं दिया जा रहा है. इस संबंध में हमने जब हाई स्कूल की प्राचार्या सुषमा बखला से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि “ऊपर से मौखिक आदेश है कि किसी बच्चे को टीसी नहीं देना है. यहीं पढ़ाई करने के लिए प्रेरित करना है. इसमें हम क्या कर सकते है.” वहीं रामनगर 10वीं पासआउट कुछ छात्राओं से चर्चा की गई तो उनका कहना है कि हम यहां नहीं पढ़ना चाहते है. सभी टीचर टाइम पर नहीं आते है और जल्दी चले जाते है. पढ़ाई ठीक से नहीं होता है. इसलिए टीसी कटवाकर किसी दुसरे स्कूल में पढ़ाई करना चाहते है. इसके अलावा छात्रों ने कहा कि उन्हें कॉमर्स संकाय से पढ़ाई करनी है. लेकिन रामनगर हाई स्कूल में तो सिर्फ कृषि संकाय की ही पढ़ाई शुरू हो रही है. फिर भी स्कूल प्रबंधन द्वारा टीसी नहीं देना समझ से परे है.
हाई स्कूल में वाकई में है लचर व्यवस्था
बता दें कि, रामनगर हाई स्कूल की लचर व्यवस्था की पोल 10वीं पासआउट बच्चों ने तो खोल ही दी. इसके अलावा गत वर्ष जिला शिक्षा अधिकारी के निरीक्षण में भी इस स्कूल के टीचरों की मनमानी की पोल खुल चुकी है. 7 दिसंबर 2022 को जिला शिक्षा अधिकारी ने शासकीय हाई स्कूल का औचक निरीक्षण किया था. तब निरीक्षण ने अनुपस्थित पाए गए शिक्षकों के स्पष्टीकरण पत्र जारी किया गया था. वहीं जवाब संतोषप्रद नहीं होने पर अनुराधा झा व्या. एलबी, सुचिता टोप्पो व्या. एलबी, सुरेंद्र प्रसाद जायसवाल व्याख्याता का वेतन रोकने की कार्रवाई की गई थी.
आनन-फानन में बदला अधिकारियों का नाम
नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हुए 10 दिन से ज्यादा का समय बीत गया है. लेकिन शासकीय हाई स्कूल रामनगर के स्कूल भवन में ऐसे अधिकारियों का नाम अंकित है, जो जिले से ट्रांसफर होकर अन्य जिले में पदस्थ है. स्कूल के दीवारों पर जिला पंचायत सीईओ लीना कोसम का नाम अंकित है. जबकि उनका ट्रांसफर हो चुका है. इसके अलावा सूरजपुर एसडीएम पुष्पेंद्र शर्मा अंकित हैं, जिनका ट्रांसफर हुए लगभग सालभर बीत चुके हैं. बता दें कि सोमवार को सरगुजा कमिश्नर का हाई स्कूल में मतदाता जागरूकता संबंधी कार्यक्रम था. तब स्कूल प्रबंधन ने आनन-फानन में कलेक्टर, एसपी और जिला शिक्षा अधिकारी का नाम कागज में प्रिंट करवाकर पिछले अधिकारियों के नाम के ऊपर चिपकवा दिया. लेकिन पिछले एसडीएम के नाम के ऊपर पर्ची चिपकाना भूल गए. वर्तमान में सूरजपुर एसडीएम रवि सिंह हैं, लेकिन हाई स्कूल प्रबंधन के लिए पुष्पेंद्र शर्मा ही एसडीएम हैं.
स्कूल शिक्षा मंत्री का है गृह जिला
गौरतलब है कि प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह सूरजपुर जिले से ही है. इसके बावजूद उनके गृह जिले में शिक्षा व्यवस्था के ये हालात है. अब तो शासकीय हाई स्कूल, रामनगर बच्चों के अधिकार भी छीन ले रही है. बच्चों को टीसी नहीं देकर जबरजस्ती कृषि संकाय की पढ़ाई करवाने की कोशिश की जा रही है, जो गलत है. वहीं अब स्कूल प्रबंधन की मनमानी को लेकर छात्र-छात्राओं के साथ अभिभावकों में भी आक्रोश पनप रहा है.