
अम्बिकापुर। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर और छत्तीसगढ़ का ‘शिमला’ कहलाने वाला मैनपाट इन दिनों संकट की गिरफ्त में है। एक ओर जहां यहां की पहाड़ियां, हरियाली और ठंडी हवाएं सैलानियों को लुभाती हैं, वहीं दूसरी ओर स्थानीय ग्रामीणों की ज़िंदगी हाथियों के आतंक से बदहाल हो गई है।
तीन मकान ढहे, परिवार बेघर
सरगुजा जिले के मैनपाट वन परिक्षेत्र में हाथियों का उत्पात थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीती रात घटगांव और बरडाड़ गांवों में हाथियों के दल ने भारी तबाही मचाई। तीन कच्चे मकानों को पूरी तरह से तोड़ डाला गया, जिससे तीन परिवारों के सिर से छत छिन गई।
पर्यटन स्थल में दहशत का माहौल
जिस मैनपाट को लोग उसकी खूबसूरती और शांति के लिए जानते हैं, वहां अब डर और दहशत का माहौल है। घटगांव, बरडाड़ सहित कई इलाकों में हाथियों के झुंड लगातार विचरण कर रहे हैं, जिससे ग्रामीण रातभर जागकर अपनी सुरक्षा कर रहे हैं।
बेघर हुए परिवारों के लिए अस्थाई व्यवस्था
वन विभाग और प्रशासन ने बेघर हुए परिवारों को आंगनबाड़ी भवनों और आसपास के पक्के मकानों में अस्थाई रूप से शिफ्ट किया है। हालांकि, बारिश के मौसम में यह राहत भी अस्थायी और सीमित लग रही है।
सायरन से डराने की कोशिश, वन विभाग अलर्ट
हाथियों को आबादी से दूर रखने के लिए गजराज वाहन से सायरन बजाकर उन्हें जंगल की ओर खदेड़ा जा रहा है। वन विभाग की टीम लगातार हाथियों की गतिविधियों पर नज़र बनाए हुए है और प्रभावित क्षेत्रों में निगरानी बढ़ा दी गई है।