अम्बिकापुर(दीपक सराठे)
- आवारा कुत्तो के आतंक से राहगीर मुसीबत में
- कुत्तों ने दौड़ाया तो बाईक सवार हुआ घायल
- 105 दिनों में 121 हुये आवारा कुत्तों का शिकार
शहर में आवारा कुत्तों का आतंक दिन ब दिन बढ़ता ही जा रहा है। इसका खामियाजा हर रोज राहगीर व मोटरसाईकिल सवार भुगत रहे है। आज सुबह भी नगर के अजिरमा अशोक नगर निवासी अबरार पिता गुलाम मुस्तफा 20 वर्ष अपने मोटरसाईकिल में परिवार के ही दो लोगों को बैठाकर प्रतापपुर चैक की ओर जा रहा था। जैसे ही नवापारा के पास पहुंचा तभी सड़क पर बैठे आवारा कुत्तों की झुंड ने उसे दौड़ाने लगा जिस पर बाईक सवार मोटरसाईकिल से अनियंत्रित होकर गिर गया जिससे उसके सिर में चोट लगने से घायल हुआ। हालांकि मोटरसाईकिल की गति कम थी जिसके वजह से एक बड़ी दुर्घटना टल गई।
गौरतलब है कि नगर में आवारा कुत्तो का आतंक बढ़ता जा रहा है। हर वर्ष इनके तादाद में भी वृद्धि होते जा रही है। शहर का कोई भी ऐसा कोना नहीं है जहां आवारा कुत्तों की फौज न दिखाई पडे इनकी तादाद मे इजाफा का कारण नगर निगम के द्वारा इस ओर ध्यान नहीं देना है। जैसा कि नियमतः निगम द्वारा आवारा कुत्तों को पकड़ कर बधियाकरण के साथ-साथ उन्हे पकड़ कर जंगलों मे छोड़ने की योजना थी। परंतु इस योजना का क्रियावयन अब तक देखने को नहीं मिला। जब कि सूत्रों की माने तो शहर में घुम रहे इन आवारा कुत्तों के बधियाकरण के लिए लाखो का बजट रहता है। फिर भी नियम इस पर अमल नहीं कर रहा है। जिसकी परिणतित आवारा कुत्तों की फौज दिन प्रतिदिन बढ़ने के साथ इनका शहर वासियों में भी खौफ बढ़ता जा रहा है। जो रात व दिन में इधर-उधर घुमते रहते है। और किसी भी आते-जाते राहगीर को देखकर भौकने लगते है, और कई बार तो ये हमला भी कर देते है। जिसकी वजह से आने दिन आवारा कुत्तो के काटने के शिकार राहगीर हो रहे है। सिर्फ जिला अस्पताल का आकड़ा देखे तो कुत्तो के काटने से भयावह तश्वीर सामने आ जायेगी। मात्र दो माह में आवारा कुत्तो ने 138 लोगों अपना शिकार बनाया है। नवम्बर माह में 61, दिसम्बर में 77, जनवरी में 51 व फरवरी के 15 दिनों में 32 लोग आवारा कुत्ते के काटने से जिला अस्पताल पहुचे है। इस गंभीर विषय की ओर नगर निगम ने सोचने व बधियाकरण की योजना को क्रियानवित करने की जहमत उठाना अब तक मुनासिब करना नही समझा और मात्र औपचारिकता निभाते हुये बधियाकरण के लिए निविदा निकालकर इतिश्री कर ली है। इन आवारा कुत्तो को लेकर डर हमेशा बना रहता है। शहरवासियों द्वारा कई बार इस ओर निगम का ध्यान आकृष्ट किया गया है। परंतु नगर निगम कई शिकायतों के बावजूद इस ओर लापरवाह रवैया अपनाया रहता है। जिसकी खामियाजा शहरवासी भुगत रहे है।
सुप्रीम कोर्ट के शख्त निर्देश का नहीं हो रहा पालन
गौरतबल है कि कुत्तो के आतंक और लोगों की जान की खतरे के संबंध में देश की सवोच्च अदालत में दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों की समस्या पर गंभीर चिन्ता जताते हुये टिप्पणी की थी कि कुत्तों से ज्यादा मनुष्य की जान कीमती है। सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों की बधियाकरण के लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश भी स्थानीय निकायो ंको दिये थे।