Surajpur News: प्रदेश में कहीं-कहीं बारिश आफत बनकर बरस रही हैं। तो वही सूरजपुर में बारिश नही होने से किसानो के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी हैं। बारिश नही होने से चिंतित किसानों ने बारिश कराने के लिए अब पुरानी मान्यता के अनुसार मेंढक और मेढ़की का विवाह करा कर इंद्रदेव को प्रसन्न करने का प्रयास किया हैं। सूरजपुर जिले में लोगो की मुख्य आय का स्रोत खेती ही हैं। किसानों ने खेतो में रोपा लगा दिया हैं। लेकिन, बारिश नही होने से उनको अब अपनी फसल की चिंता सता रही हैं। जिसको लेकर अब किसान टोने टोटके का सहारा ले रहे हैं।
दरअसल, किसानों को आषाढ माह के बाद सावन में अच्छी बारिश होने की उमीद थी। लेकिन, सावन माह में बारिश नही होने से खेतों में दरारें आ गई हैं। जिसको लेकर किसान चिंतित और परेशान हैं। वही अब किसान बारिश कराने के लिए पुरानी मान्यता के अनुसार मेंढक और मेढ़की का विवाह करा कर इंद्रदेव को प्रसन्न करने में लगे हैं। मेढक और मेढकी के विवाह का नज़ारा सूरजपुर के ग्राम दर्रीपारा में देखने को मिला हैं। जहां लोगों ने पुरानी मान्यता के अनुसार पूरी रीति-रिवाजों के साथ मेंढक और मेंढकी का विवाह संपन्न कराया…और इंद्रदेव से अछि बारिश की कामना किया गया हैं। अब देखने योग्य बात ये होगा की पुरानी मान्यता के अनुसार, किए गए मेढक-मेढकी की शादी के बाद वर्षा के देवता प्रसन्न होकर बारिश कराते हैं या किसानों को बारिश के लिए और इंतजार करना होगा।
इस संबंध में स्थानीय निवासी सुनील साहू बताते हैं कि, खेती का समय निकलने की कगार में हैं..और बारिश की स्थिति जिले में ही नहीं बल्कि पूरे संभाग में भी ज्यादा बारिश नहीं हुई हैं। इसलिए किसान परेशान और हताश हैं। इस परेशानी से निजात पाने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं। बहुत पहले से ही ग्रामीण इलाकों के किसानों का मान्यता हैं कि, मेंढक मेंढकी की विवाह करने से बारिश होती है। इसी परंपरा को जीवित रखते हुए पिछले वर्ष भी बड़ी धूमधाम से मेंढक मेंढकी की विवाह किया गया था, और जमकर बारिश हुई थी। इस वर्ष भी गोविंदपुर और दर्रीपारा के किसान देव स्थल पर इकट्ठा होकर मेंढक-मेंढकी का विवाह ढोल नगाड़ा के साथ संपन्न किया हैं। जिसमें एक गांव से मेंढक वहीं दूसरे गांव से मेंढकी, बाकायदा बारात के साथ संपन्न किया गया हैं। शादी कर इंद्रदेव को प्रसन्न करते हैं। जिससे इलाके में अच्छी वर्षा हो सके।
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