[highlight color=”black”]बलरामपुर[/highlight][highlight color=”red”] देश दीपक “सचिन”[/highlight]
[highlight color=”green”]स्कूल ड्रेस के लिए पैसे ना मिलने पर छात्रा ने खुद को लगाई आग….[/highlight]
[highlight color=”green”]तंग हाल पिता ने पैसा मांगने पर बेटी को पीटा….[/highlight]
सरगुजा में पैसे के आभाव में एक गरीब आदिवासी परिवार की बेटी प्रीति ने आग लगा कर आत्महत्या का प्रयास किया है। हालाकि वक्त रहते घर वालो ने आग बुझा कर प्रीती की जान तो बचा ली, लेकिन 60 प्रतिशत जली प्रीति के शरीर के कई अंग आग मे बुरी तरह सुलस गए है। मंगलवार को हुई इस घटना के बाद प्रीति का इलाज कुसमी सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र मे चल रहा था, लेकिन तबियल मे सुधार नही होने के काऱण घायल प्रीति को इलाज के लिए अम्बिकापुर जिला अस्पताल अम्बिकापुर में भर्ती कराया गया है। जंहा के बर्न वार्ड मे प्रीती का इलाज किया जारी है। दरअसल प्रीति ने स्कूल ड्रेस के लिए पिता से पैसे मांगे थे पर आर्थिक तंगी से जूझ रहे पिता ने पैसे देने से इनकार कर दिया लिहाजा पिता की लाचारी को देख प्रीती ने खुद को आग लगा ली ।
छत्तीसगढ मे स्मार्ट क्लास के जरिए क्रांति लाने की बात कही जा रही है , लेकिन स्मार्ट क्लास की असल हकीकत सरगुजा के ग्रामीणो इलाको मे साफ देखी जा सकती है। यहाँ के ग्रामीणों के इलाको मे गरीबी और भुखमरी से किसान और छात्र आत्महत्या पर आतुर है। प्रदेश के अन्य इलाको मे नौकरी के लिए दिव्यांग बेरोजगार आत्मदाह करने पर मजबूर है तो अब हालात यंहा तक पंहुच गए है कि रुपयो की तंगी में पिता अपनी बेटी को मारता है और बाप की लाचारी को देख बेटिया अग्नि स्नान करने पर मजबूर हो गई है।
बहरहाल बलरामपुर के कुसमी विकासखण्ड मुख्यालय मे रहने वाले गरीब आदिवासी परिवार की प्रीति कुसमी शासकीय हाई स्कूल मे 9 नवमी कक्षा की छात्रा है। अन्य बच्चियो की तरह की जब प्रीति ने स्कूल ड्रेस खरीदने के लिए पिता से रुपए मांगे तो तंग हाल लाचार पिता ने अपने जिगर के टुकड़े को पहले तो रुपयो की जगह गालिया दी । फिर उसे मारपीट कर उसकी मांग को दबाने का प्रयास किया। जिसके बाद प्रीति घर मे सूनेपन को देखते हुए प्रीति ने केरोसीन छिडक कर आग लगा लिया , जिसके बाद चीख पुकार सुनकर प्रीति की जान तो बचा ली गई है ,लेकिन वो जिला अस्पताल मे जिंदगी और मौत से जूझ रही है। गौरतलब है की स्कूलों में शासन की ओर से सिर्फ मिडिल स्कूल तक के छात्र छात्राओ को ही गणवेश वितरण किया जाता है और प्रीती कक्षा नौवी की छात्रा है जिस कारण इसे अपना स्कूल ड्रेस खुद खरीदना था।
[highlight color=”blue”]डॉ.प्रीतम राम ……विधायक सामरी विधानसभा[/highlight]
बच्चियों की भावनाए काफी संवेदन शील रहती है बच्चियों के मामले में सरकार को संवेदनशीलता दिखानी चाहिये, चूंकि मिडिल स्कूल तक की बच्चियों को ही स्कूल ड्रेस वितरण का प्रावधान है,, इसलिए ऐसे मामलो को देखते हुए मै शासन से मांग करूंगा कि बारहवी तक की बच्चियों को स्कूल के गणवेश दिया जाए ताकि बच्चियों के मन में हीन भावना उत्पन्न ना हो और बच्चिया ऐसे कदम ना उठाये