
जांजगीर-चांपा (संजय यादव)। छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा पूर्व कांग्रेस की सरकार के चलाए जा रहे योजना चार सौ यूनिट तक बिजली बिल हाफ को समाप्त कर सिर्फ 100 यूनिट बिजली पर हाफ बिल करने की घोषणा के दूसरे दिन छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी द्वारा प्रदेश व्यापी मुख्यमंत्री का पुतला दहन कार्यक्रम आंदोलन के रूप में आयोजित करने का ऐलान किया गया था. इसी कड़ी में जिला जांजगीर-चापा मे अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण की बैठक में छत्तीसगढ़ के मुखिया विष्णु देव साय का आगमन जांजगीर हुआ किंतु उनका आगमन बिना व्यवधान के शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया. जबकि जनता में इस बात की चर्चा होती रही की बिजली बिल हाफ जैसी गरीबों की महत्वपूर्ण योजना को भाजपा सरकार द्वारा खत्म किए जाने के बाद जांजगीर चांपा जिला में मुख्यमंत्री के आगमन पर कांग्रेस सड़क पर उतरकर अपनी गिरफ्तारी तक देगी, किंतु गिरफ्तारी की बात तो दूर महज पुतला दहन का ही कार्यक्रम कांग्रेस द्वारा किया गया उसमें भी गिनती के कांग्रेसी उपस्थित रहे.पामगढ़,अकलतरा विधायक सहित जिला,युवा कांग्रेस के कई बड़े पदाधिकारी नहीं दिखे। इसके पहले भी रोड की निर्माण को लेकर सड़क पर उतर कर ग्रामीणों के साथ सिर्फ जांजगीर चांपा विधायक ही विरोध जताया जिसके चलते उनके खिलाफ FIR भी हुआ.उस समय भी किसी भी और कांग्रेसी पदाधिकारी ने उनका साथ नहीं दिया.आज भी कई कांग्रेसी गिरफ्तारी से डरते रहे.
वह भी कार्यक्रम मुख्यमंत्री के जाने के बाद संपन्न हुआ. इससे मानो ऐसा प्रतीत होता है की जिला जांजगीर चांपा में कांग्रेस के मैनेजिंग डायरेक्टर द्वारा कहीं मैनेज पॉलिटिक्स तो नहीं की जा रही है .जिले मे भाजपा के सामने लगातार कमजोर होती जा रही है कांग्रेस सिर्फ आंदोलन के नाम पर अपनी औपचारिकताएं पूरी करती है. कुछ कांग्रेसी 10– 20 की संख्या में इकट्ठा होकर धरना प्रदर्शन का इति श्री कर लेते है।
ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री के आगमन पर एक दिन पूर्व कांग्रेस द्वारा प्रेस वार्ता भी आयोजित की गई थी जिसमें मुख्यमंत्री के पुतला दहन कार्यक्रम की जानकारी दी गई थी पत्रकारों के पूछे जाने पर क्या मुख्यमंत्री के जाने के बाद उनका पुतला दहन किया जाना सिर्फ औपचारिकता नहीं है इस प्रश्न के जवाब में जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा मौन साथ लिया गया था. आए दिन भाजपा द्वारा जन विरोधी कई फैसले लिए जा रहे हैं लेकिन प्रदेश में कमजोर विपक्ष के कारण कांग्रेस की स्थिति कमजोर नजर आ रही है वहीं दूसरी ओर इस बात को भी बल मिल रहा है की पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज व नेता प्रतिपक्ष चरण दास महत पर कमजोर नेतागिरी का आरोप राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने लगाए जाने की बात सही साबित हो रही है ऐसा प्रतीत होता है।
जांजगीर चांपा जिले में कांग्रेस संगठन का एक ऐसा कार्यालय भी नहीं जहां पर वह अपनी प्रेस वार्ता कर सके विधायक के रहमों करम पर चलने वाली कांग्रेस हमेशा अपने कार्यक्रम के लिए विधायक पर ही आश्रित रहती है संगठन के आयोजन को विधायक के नेतृत्व का कार्यक्रम बताया जाता है अब ऐसे में भला कांग्रेस पार्टी की साख को कैसे मजबूत कहा जा सकता है। जिले में जिस तरह से कांग्रेस की राजनीति भाजपा के साथ मिली जुली चल रही है इसका उदाहरण जिला पंचायत, नगरीय निकाय के साथ ही कई ऐसे मौके पर देखने को मिल गया है जहां पर नगर ग्रामीण सरकार बनाने सीधा-सीधा भाजपा और कांग्रेस की नूरा कुश्ती को समझा जा सकता है ।
राजनीति के जानकार इसे जिले से नेता प्रतिपक्ष की राजनीतिक चतुराई का उदाहरण भी बताते हैं लेकिन यह देखना होगा क्या इस तरह से भाजपा के साथ मिलकर या उसे सहुलियत देकर की जा रही राजनीति से क्या कांग्रेस का भला होगा यह भविष्य के गर्भ में है, लेकिन बहरहाल जिस तरह से जन विरोधी फैसले लेने के बाद मुख्यमंत्री का आगमन जांजगीर मुख्यालय में हुआ वह कांग्रेसियों के लिए एक बहुत बड़ा विरोध प्रदर्शन का माध्यम हो सकता था जो शांतिपूर्ण वातावरण में निकल गया हो सकता है कांग्रेस ने सोचा होगा साप भी मर जाए लाठी भी ना टूटे।
बीजेपी का अनुसूचित जाति वर्ग को साधने की कोशिश….
छत्तीसगढ़ प्रदेश को छोड़ दिया जाए तो बीजेपी को अन्य प्रदेशों में लोकसभा चुनाव में बहुत नुकसान उठाना पड़ा था.कांग्रेस के द्वारा चला रहे चलाए जा रहे संविधान बचाओ अभियान ने बीजेपी का कमर तोड़ के रख दी थी, इस अभियान से पूरे देश में कांग्रेस को जो फायदा मिला उसमें बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा. 400 पार के नारे 250 में सिमट के रह गए.अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को यह लगा कि संविधान में संशोधन हो जाएगा तो उनका अधिकार मारा जाएगा. जिसके चलते उनका झुकाव कांग्रेस की ओर ज्यादा रहा. इन्हीं सब को देखते हुए भाजपा ने अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को साधने की कोशिश कर रही है , आगे जो गलती बीजेपी से हुई थी उसे फिर से न दोहराया जाय.बीजेपी इस बात को अभी भी स्वीकार करती है कि कांग्रेस की इस नारेटिव को अनुसूचित जाति के वोटर तक पहुंचने से रोकने विफल रहे. और जिस अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण की बैठक मंत्रालय में होती थी उसको जांजगीर चांपा जिला में रखा गया, क्योंकि जांजगीर चांपा लोकसभा छत्तीसगढ़ में एक मात्र अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित सीट है. इसलिए बीजेपी की सबसे ज्यादा फोकस इसी जिला में रही है. और आगे भी रहेगी। क्योंकि सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति वर्ग के लोग लोकसभा में निवास रहते हैं. जांजगीर चांपा लोकसभा में आठ विधानसभा है, जिसमें सभी में कांग्रेस का कब्जा है एक भी विधानसभा सीट में बीजेपी की सीट नहीं है.जिसके चलते इस वर्ग के ऊपर बीजेपी का सबसे ज्यादा फोकस र है और आगे भी रहेगा।