बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार)..प्रदेश में सरकार इन दिनों नरवा,गरवा,घुरूवा,बाड़ी योजना पर काम कर रही है..जिसके तहत गांवों में सरकारी गौठान अस्तित्व में आ गया है.यही नही सरकार अब गोबर खरीदने की कार्ययोजना में जुटी है..वही राजधानी 400 किलोमीटर दूर सरकार के सरकारी गौठान पर पलीता लग गया है..जिसकी वजह विभागीय अधिकारियों की अनदेखी है..
दरअसल पिछले वर्ष हरेली तिहार धूमधाम से मनाया गया..छत्तीसगढ़ के इस पारम्परिक पर्व हरेली पर्व का आयोजन सरकारी खर्चे पर समूचे प्रदेशभर में किया गया था..यही नही राजपुर विकासखण्ड के ग्राम लडुआ का गौठान भी उसी दिन अस्तित्व में आया था..जिसका शुभारंभ जिले के प्रभारी व खेल युवा कल्याण तथा उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने किया था..मगर यह सब हुए ..1 वर्ष बीत चुका है..और गौठान में बाड़ी लगाने महिला समूहों द्वारा खरीदे गए बांस के पैसे उन्हें अबतक नही मिल पाए है..
बता दे कि हरेली तिहार के दौरान अस्तित्व में आये ग्राम लडुआ के गौठान में बाड़ी लगाने के लिए महिला समूहों को प्रोत्साहित किया गया था..और गांव के ही जानकी महिला समूह की महिलाओं ने बाड़ी लगाने के लिए गौठान में बांस उपलब्ध कराया था..लेकिन महिला समूह को आज तक बांस के पैसे नही मिल पाए है..और महिलाएं बांस के पैसे के लिए भटकने पर मजबूर है..
वही इस मामले में जनपद सीईओ यशपाल सिह ने चुप्पी साध ली है..जबकि जिला पंचायत सीईओ हरीश एस ने इस मामले को संज्ञान में लेने के बजाए ..पत्रकारों व महिला समूह की महिलाओं से मिलना मुनासिब ही नही समझा!..
बहरहाल जिस चमक -धमक के साथ गौठान अस्तित्व में आ रहे है..वैसे ही सरकार की इस योजना के क्रियान्वयन पर सवालियां निशान लग जा रहा है..इस योजना से महिला समूहों को आत्मनिर्भर बनाने की तो बात छोड़िए ..कुछ जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते महिला समूह की महिलाएं कर्जदार होती जा रही है..