FatafatNews.Com is the first online news portal of Chhattisgarh. Here you will get the latest news related to country, abroad, sports, entertainment, politics, crime, lifestyle, business, job, spirituality. News is updated 24 hours every day on our website. Stay with us for latest news. Thank you!
अम्बिकापुर शहर के होनहार छात्र निशांत सिंह ने क्षेत्र का गौरव बढाया है.. निशांत का चयन इन्डियन स्पेस रिसर्च आर्ग्नाईजेशन इसरो में हो गया है.. मतलब अम्बिकापुर का होनहार छात्र अब वैज्ञानिक बनकर देश की सेवा करेगा.. निशांत के वैज्ञानिक बनाने के पीछे की बड़ी कहानी यह है की इस पूरी पढाई का खर्च उनके परिवार पर नहीं पडा है बल्की निशांत ने अपने टैलेंट के दम पर ये सारी शिक्षा मुफ्त में हासिल की है..
अंबिकापुर के गोधनपुर में रहने वाले अनिल सिंह के बेटे निशांत ने बड़ा काम किया है.. निशांत ने उन लोगो को करारा जवाब दिया है जो सरगुजा को पिछड़ा मानते है.. अंबिकापुर की कारमेल स्कूल से पांचवी तक की शिक्षा लेने के बाद निशांत का चयन नवोदय विद्द्यालय के लिए हो गया और नवोदय विद्यालय में पढ़ते हुए निशांत ने एक एसा एग्जाम निकाला जिससे उसकी किस्मत ही बदल गई.. निशांत ने बताया की जब वो दशवीं पढ़ रहे थे तभी युएस में रहने वाले एक एनआरआई की सस्था दक्षिणा फाउंडेशन से संपर्क हुआ दरअसल यह संस्था भारत के नवोदय विद्द्यालय से दो सौ छात्रो का चयन करती है और उन्हें आईआईटी की पढ़ाई मुफ्त में कराती है लेकिन इसके लिए छात्रो को एक परीक्षा पास करनी होती है लिहाजा निशांत ने यह परिक्षा पास की और इसके बाद संस्था के द्वारा उन्हें केरल भेजा गया जहाँ पर उन्होंने जेईई निकाला और भारत व एशिया के नबर वन व विश्व के तीसरे नबर के इंस्टीटयूट में स्पेश साइंस की पढ़ाई की.. इस इंस्टीटयूट की पूरी पढ़ाई रहना खाना सब कुछ फ्री था लेकिन उसके लिए वहाँ के ग्रेड 7.5 स्कोर को मेंटेन करना था और निशांत ने अपनी मेहनत के दम पर इंस्टीटयूट के ग्रेड को मेंटेन किया और चार वर्ष तक पढ़ाई कर अब देश की सेवा के लिए तैयार है..
इतना ही नहीं इस दौरान निशांत ने पाकेट मनी भी अपने घर से नहीं ली और पढाई करते हुए देश विदेश को ट्यूशन देकर अपनी पाकेट मनी की व्यवस्था करते थे.. निशांत लोगो को आनलाइन ट्यूशन देते थे.. एक वेबसाईट के जरिये निशांत देश विदेश के छात्रो के सवालो के जवाब देते है.. जिससे उन्हें प्रति घंटे 20 डालर यानी की लगभग 12 से 13 सौ रुपये की कमाई हो जाती थी..
वही इन्डियन इंस्टीटयूट आफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलाजी में पढ़ाई करने के बाद निशांत की सफलता के पर उनके परिवार में भी हर्ष का माहौल है.. निशांत के पिता को उन पर गर्व है क्योकी तरक्की तो बहोत से छात्र करते है लेकिन उनकी तरक्की के पीछे उनके परिवार का बड़ा स्ट्रगल होता है लेकिन निशांत की तरक्की में निशांत ने सब कुछ खुद किया है उसने अपनी पढ़ाई का खर्चा अपने परिवार से नहीं लिया..
बहरहाल सरगुजा के लाल निशांत ने “सांच को आंच नहीं” की कहावत को सच कर दिखाया है.. अक्सर लोग अपनी असफलताओं के पीछे अपने परिवार का सपोर्ट ना होने का रोना रोते है लेकिन निशांत ने इस बात को झूठा साबित किया है और बिना परिवार की हेल्प लिए आज एक बड़े मुकाम पर है…