छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार की नई खनिज नीति ने बहुत ही परिवर्तन ला दिए है..पहले कभी पंचायत स्तर पर रेत के खनन का एक पैमाना निर्धारित हुआ करता था. लेकिन अब उस पैमाने का तकाजा राजनीतिक रसूख हो गया है..वैसे तो नियमतः खनिज विभाग बड़े नदी-नालों से रेत का उत्खनन करने उन्हें ठेके पर दे रहा है..जिसके अलग से मापदण्ड भी है..वही कुछ छूट भैय्ये नेता भी अब रेत से असामी बनने की होड़ में है..ऐसा ही कुछ बलरामपुर जिले के रामचन्द्रपुर ब्लाक में चल रहा है..और कही -कही पर विरोध भी हो रहा है..लेकिन भाजपा समर्थित जिला पंचायत सदस्य की रेत की तस्करी पर चुप्पी समझ से परे है..और उनके निर्वाचन क्षेत्र में रेत की जमकर जमाखोरी के साथ अवैध बिक्री का कारोबार फल-फूल रहा है..और प्रशासन तो मानो नतमस्तक ही है.
गौरतलब है कि रेत के अवैध उत्खनन का मामला प्रदेश में गूंजता ही रहा है..लेकिन रेत तस्करों पर कार्यवाही. सैय्या भये कोतवाल तो डर काहे का की तर्ज पर जारी है..ऐसा इसलिए क्योंकि जिले के रामचन्द्रपुर ब्लाक का एक क्षेत्र ऐसा है.. जहाँ सत्ता पक्ष के कुछ नेता अवैध रेत उत्खनन के कार्य मे लिप्त है..तथा उक्त क्षेत्र से जिला पंचायत में प्रतिनिधित्व करने वाले राजेश यादव की चुप्पी समझ से परे है..जबकि उन्ही के निर्वाचन क्षेत्र में इन दिनों रेत का अवैध कारोबार फल-फूल रहा है..
निर्वाचन क्षेत्र में नेता जी का धौंस कितना है ये..उनके क्षेत्र में चल रहे अवैध रेत उत्खनन के लिए चल रहे रेत घाट से लगाया जा सकता है..और हाल ही में रामानुजगंज के एक राइस मिल को रेत डंपिग यार्ड के रूप में तब्दील कर दिया गया था..जिसे राजस्व अमले ने सील किया था..अब जिस स्थान से रेत का अवैध उत्खनन किया गया ..उसके समीप ही जिला पंचायत सदस्य का कार्यालय भी स्थित और ऐसा नही है..की उन्हें अवैध रेत उत्खनन की जानकारी नही होगी!..