रायपुर. 25 मई को झीरम कांड के 10 साल पूरे हो जाएंगे लेकिन आज तक इस घटना की जांच नही हो पाई। लेकिन राजनीतिक बयानबाजी चरम पर दीखयी पड़ती हैं। झीरम घाटी में हुए नक्सली हमलें को लेकर नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा – जब माओवादी इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे रहे थे। तब मोटरसाइकिल में कौन था? जो आज सरकार में मंत्री भी है, वो मोटरसाइकिल से कैसे भागा? सरकार इस बात को सार्वजनिक करे, ये अनेक अंदेशो को जन्म देता हैं। वही चन्देल ने ये भी पूछा कि पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी, उसकी रिपोर्ट आ गई क्या.?
वही, 10 साल बाद भी झीरम नरसंहार का सच बाहर नही आ पाया। घटना जो बच गए थे अब उनका सब्र टूट रहा हैं। बिजापुर युवा आयोग के पूर्व सदस्य अजय सिंह ने इस मामले में तत्कालीन भाजपा सरकार पर गम्भीर आरोप लगाए हैं। वही भूपेश सरकार पर साढ़े चार सालों में जांच के प्रति उदासीन होने की बात कही हैं। झीरम घटना को याद करते भावुक हुए अजय ने बताया कि घटना कैसी हुई, स्वर्गीय महेंद्र कर्मा के वो आखिरी शब्द जिसमे कर्मा कह रहै थे “मैं हूं महेंद्र कर्मा” छोड़ दो सबको…10 साल बाद भी ये शब्द उनकी कानो में गूंज रहे हैं। अजय के मुताबिक झीरम का सच बाहर आये तब ही शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।