रायपुर. आजकल व्हाट्सएप आदि सोशल मीडिया में हनुमान जयंती शब्द को लेकर लोग शंका में है कि जयंती न कहें जन्मोत्सव कहें. खुद ही विचार करें कि व्हाट्सएप, मोबाइल कुछ भी नही था तब भी जयंती ही मनाई जाती थी।
हमने शास्त्र पुराण पढ़ा नहीं इसलिये किसी भी सनातन धर्म द्रोहियों की साजिश में बहुत जल्दी फंस जाते है। और अपने ही ऋषि मुनियों द्वारा बनाये हुए व्यवस्था पर शंका करने लग जाते है। जयंती शब्द किसी मरणशील लोगो के संदर्भ में प्रयुक्त होता ऐसा नही है।जयंती का अर्थ है पताका, इंद्र की पुत्रि दुर्गा जी का नाम।
जयंती का अर्थ है जिसकी जय हो
जयंती किसी महत्वपूर्ण कार्य के आरंभ या घटित होने की वार्षिक तिथि पर होने वाले उत्सव को कहते हैं जैसे किसी की जन्म तिथि पर मनाया जाने वाला उत्सव चाहे वह भगवान हो या दिव्य अवतार जो या दिव्य मनुष्य।भविष्य पुराण , विष्णुधर्मोत्तर पुराण , निर्णय सिंधु आदि के अनुसार जन्माष्टमी भी जयंती व्रत है। रोहणी नक्षत्र संयुक्ता जन्माष्टमी जयंती ही कहलाती है। कलयुग में सात चिरंजीवी शास्त्रों में बताए गए हैं
जिसमें व्यास जी, हनुमान जी व परशुराम जी के जन्म उत्सव शास्त्र में जयंती नाम से ही प्रसिद्धि है। पराशर संहिता में हनुमान जयंती का विधान दिया गया है।
भगवान के 10 अवतारों में –
कूर्म जयंती , नरसिंह जयंती , वराह जयंती , वामन जयंती , कल्कि जयंती , परसुराम जयंती,
दश महाविद्या में-
तारा जयंती , बगलामुखी जयंती , छिन्नमस्ता जयंती , धूमावती जयंती , महाकाली जयंती , भुवनेश्वरी जयंती ,
त्रिपुर भैरवी जयंती ।
अन्य दिव्य अवतारों में –
स्वामी नारायण जयंती , महावीर जयंती , हाटकेश्वर जयंती , श्रीमद्वल्लभाचार्यजी जयंती , आद्यशंकराचार्य जी जयंती , नारद जयंती , जानकी जयंती , शनि जयंती ,
गायत्री जयंती , कबीर जयंती , हयग्रीव जयंती , तुलसीदास जयंती , वाल्मीकि जयंती , करपात्री जयंती , बलराम जयंती , दधीचि जयंती , विश्वकर्मा जयंती , अग्रसेन जयंती , धनवंतरी जयंती , चित्रगुप्त जयंती , गुरुनानक जयंती , कालभैरव जयंती , गीता जयंती , दत्तात्रेय जयंती , शाकम्भरी जयंती , नर्मदा जयंती , आदि आदि अनगिनत जयंती हैं। यहां तक कि माघ शुक्ल चतुर्थी को श्री गणेश जयंती के नाम से भी जाना जाता है।
अतः श्री हनुमान जी की जयंती आदि अवसरों पर जयंती शब्द पर विवाद करना शास्त्र विमुखता का परिचायक है। कृपया अपने सनातन धर्म की ओर लौटें। किसी भी तरह के भ्रम या शंका हो तो अपने आसपास के विद्वानों से सम्पर्क कर समाधान जरूर कर लेवें , सोशल मीडिया के किसी भी अप्रमाणित पोष्ट पर एक बार स्वयं भी विचार कर लेवें तभी आगे किसी को भेजे।
उपरोक्त प्रमाण से संतुष्टि न् हो तो और भी गर्न्थो के संकलन उपलब्ध है, सम्पर्क कर सकते हैं।
पण्डित मनोज शुक्ला महामाया मन्दिर