रायपुर। राज्य में बागवानी फसलों के क्षेत्रफल और उत्पादन में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। फिलहाल छत्तीसगढ़ राज्य में 8 लाख 61 हजार 663 हेक्टेयर में बागवानी फसलें ली जा रही हैं और इनका वार्षिक उत्पादन एक करोड़ मेट्रिक टन से अधिक हो गया है। प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन आधारित यूनिट की स्थापना के लिए राज्य सरकार द्वारा नई औद्योगिक नीति में कई सहूलियतें और प्रावधान किए गए हैं, ताकि किसानों को उनके उत्पाद का बेहतर मूल्य सके।
छत्तीसगढ़ राज्य की जलवायु विविधता के कारण यहां सभी प्रकार की उद्यानिकी फसलों की खेती की अपार संभावनाएं हैं। सरगुजा अंचल के पहाड़ी क्षेत्र में नाशपाती, अंगूर, चाय, कॉफी, काजू, स्ट्राबरी, अलूचा, राज्य के मैदानी क्षेत्रों में ड्रैगन फ्रूट, बेर, आम, अमरूद, केला नींबू तथा बस्तर के पठारी क्षेत्र में नारियल, काजू, काफी, दालचीनी, तेजपत्ता और काली मिर्च उत्पादन की प्रचुर संभावनाएं को देखते हुए इनकी खेती एवं व्यावसायिक उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
राज्य में सभी प्रकार की सब्जियों की खेती की जा रही है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में फल-फूल, सब्जी और मसाले की खेती तथा इनके व्यवसायिक उत्पादन को बढ़ावा देकर किसानों की आय में वृद्धि और युवाओं को रोजगार से जोड़ने की पहल की जा रही है।
राज्य में 133 शासकीय नर्सरियों के माध्यम से उद्यानिकी की खेती के लिए राज्य के किसानों को उच्च गुणवत्ता के बीज और पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं। राज्य में प्रति वर्ष 27.79 लाख मीट्रिक टन फल, 71.58 लाख मीट्रिक टन सब्जी, 3.54 लाख मीट्रिक टन मसाला, 76 हजार मीट्रिक टन पुष्प तथा 59 हजार टन औषधीय का उत्पादन हो रहा है।
रायगढ़ में बिलासपुर में लगभग 16 हजार हेक्टेयर में दशहरी, लंगड़ा और चौसा प्रजाति के आम का व्यवसायिक उत्पादन हो रहा है। राजनांदगांव, दुर्ग और रायगढ़ में 300 हेक्टेयर में ड्रेगनफूट, सरगुजा, सूरजपुर और जशपुर में लगभग 5500 हेक्टेयर में लीची और 2000 हेक्टेयर में नाशपत्ती का उत्पादन हो रहा है।
रायगढ़, जगदलपुर और कोण्डागांव में 30 हजार हेक्टेयर में काजू तथा महासमुंद, कबीरधाम, बिलासपुर एवं बलरामपुर में 15 हजार हेक्टेयर में ताइवान प्रजाति के पपीते की खेती हो रही है। कबीरधाम में 350 हेक्टेयर में अरबी एवं जीमीकंद तथा रायगढ़, सरगुजा, कोण्डागांव जिले में अदरक की 7500 हेक्टेयर में खेती की जा रही है।
राज्य में फूलों की बढ़ती मांग को देखते हुए कई जिलों में इसके व्यावसायिक उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। महासमुंद, रायपुर, दुर्ग, कोण्डागांव, बिलासपुर, कोरबा एवं बलरामपुर में फूल की खेती बहुतायत रूप से हो रही है। राज्य में 14 हजार हेक्टेयर में पुष्प उत्पादन किया जा रहा है।
राज्य के कृषि रकबे और किसानों की संख्या में बढ़ोतरी इस बात का प्रमाण है, कि राज्य सरकार की किसान हितैषी नीतियों और कार्यक्रमों के चलते राज्य के किसानों के जीवन में खुशहाली का एक नया दौर शुरू हुआ है, जो नित नए स्वरूप में आगे बढ़ते जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, जिस तरह से खेती-किसानी को बढ़ावा देने और किसानों की माली हालत में सुधार लाने के लिए काम कर रहे हैं, वह आने वाली पीढ़ी के लिए ठोस आधारशिला है।
प्रदेश सरकार की सुराजी गाँव योजना नरवा, गरुवा, घुरवा बाड़ी के विकास से गांव में स्वावलंबन और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला है। राज्य के लगभग 6400 गौठानों में पशुओं के संरक्षण और संवर्धन की व्यवस्था के साथ ही वहां हरे चारे का उत्पादन, महिला समूह द्वारा सामूहिक रूप से सब्जी की खेती, फलदार पौधों का रोपण और जैविक खाद के उत्पादन के साथ ही अन्य आय मूलक गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है।
20 जुलाई 2020 को हरेली पर्व के दिन से छत्तीसगढ़ राज्य में शुरू ही गोधन न्याय योजना अपने आप में अनूठी है। ग्रामीणों, किसानों और गो-पालको से 2 रुपये किलो में गोबर खरीदने वाला छत्तीसगढ़ राज्य देश दुनिया का इकलौता राज्य है। इस योजना के माध्यम से गोबर क्रय की व्यवस्था सुनिश्चित कर छत्तीसगढ़ सरकार ने एक ओर जहां ग्रामीणों और गो-पालकों को सीधा लाभ पहुंचाने का सार्थक प्रयास किया है,
वहीं दूसरी और वृहद पैमाने पर जैविक खाद का उत्पादन कर छत्तीसगढ़ राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने की पहल की है। महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय की स्थापना, प्रदेश सरकार की किसान हितैषी नीतियों को आगे बढ़ाने तथा छत्तीसगढ़ राज्य के किसानों की खुशहाली की दिशा में एक और कदम है।