रायपुर. आरक्षण को लेकर एक बार फिर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्यपाल पर बिफरे हैं. उन्होंने कहा कि राजभवन से अब तक हस्ताक्षर नही आया, लेकिन बयानबाजी चल रही हैं, पर हमने आदिवासियों की मांग पर ही आरक्षण लाया तो अर्चन क्यों आ रही हैं? अब राज्यपाल के पास केवल 3 ही विकल्प रह गए हैं. पहला आरक्षण बिल वापस करें, दूसरा आरक्षण बिल राष्ट्रपति को भेज दें, तीसरा अनिश्चितकाल के लिए अपने पास रख लेवे.
राजभवन के पीछे दरवाजे से अपना काम कर रही है भाजपा
सीएम ने बीजेपी पर भी निशाना साधा, कहा कि जनता के समक्ष सीधे तौर पर विपक्ष विलेन नही बनना चाहता था. इसलिए राजभवन के पीछे के रास्ते से अपना काम कर रही. उन्हें किसी का भला नहीं करना है.
सीएम ने ये भी कहा कि अरविंद नेताम और भाजपा ये बताए की आरक्षण मिलना चाहिए या नही? भाजपा को स्पष्ट करना चाहिए, दो गला नही होना चाहिए. आज बच्चो और युवाओं के भविष्य के साथ खेलवाड़ हो रहा और इन्हे राजनीति सूझी है.
आदिवासियों की हितैषी बनती हैं राज्यपाल- सीएम
सीएम ने कहा कि कल आदिवासी समाज ने आंदोलन किया. आदिवासियों की हितैषी बनती है राज्यपाल. तो आखिर मुलाकात क्यों नही किया? राज्यपाल को जो जवाब देना था हमने दे दिया. उनको संतुष्ट नहीं होना, न ही बिल को वापस करना है, राष्ट्रपति को भेजना नही है.
राज्यपाल लागू नहीं करना चाहती है बस अपने पास ही रखना चाहती है
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राज्यपाल बिल वापस करें या राष्ट्रपति को भेजे या अनंत काल तक रख सकती है. यही तीन विकल्प उनके पास है. चौथा विकल्प ही नहीं है. EWS को भारत सरकार ने 10 प्रतिशत दिया. हमने क्वांटिफाइबल डाटा के तहत 4 प्रतिशत दिया है, तो विधिक सलाहकार को विश्वास नहीं है?
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