छत्तीसगढ़ विधानसभा में बुधवार को वित्तीय वर्ष 2022-23 का वार्षिक बजट पेश किया जाना है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सदन के भीतर 12.30 बजे बजट पेश करेंगे। इस दौरान आय-व्यय का पूरा लेखा-जोखा सामने रखा जाएगा। बजट भाषण में मुख्यमंत्री नई योजनाओं की भी घोषणा का सकते हैं।
इधर, बजट पेश करने से पहले मुख्यमंत्री ने फेसबुक में एक पोस्ट किया है। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि छत्तीसगढ़ में प्रत्येक वर्ग को “न्याय” सुनिश्चित करने की यात्रा को जारी रखने के लिए आज बजट प्रस्तुत करूंगा। यह नवा छत्तीसगढ़ का जनहितकारी बजट होगा।
बताया जा रहा है, मुख्यमंत्री अपने बजट भाषण में पुरानी पेंशन योजना की बहाली से जुड़ी कोई घोषणा कर सकते हैं। वित्त विभाग ने इसकी शुरुआती कवायद पूरी कर ली है। वित्त विभाग का शुरुआती अनुमान है कि पुरानी पेंशन योजना लागू होने से अगले एक दशक तक सरकार पर वित्तीय बोझ नहीं आने वाला। उल्टे 1680 करोड़ रुपए सालाना की बचत होगी। यह वह राशि है जो सरकार अंशदायी पेंशन यानी नई पेंशन योजना में अपने पास से देती है। नई पेंशन योजना 2004 से लागू हुई है। उसके बाद भर्ती हुए सरकारी कर्मचारियों की संख्या तीन लाख 30-40 हजार बताई जा रही है। ये कर्मचारी 2030-32 के बाद ही रिटायर होंगे। तब सरकार पर उनके देयकों का बोझ पड़ेगा। प्रदेश भर के कर्मचारी संगठन जोर-शोर से पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी पुरानी पेंशन की बहाली बड़ा मुद्दा था। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम सहित कई विधायकों ने पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने कार्यकाल का चौथा बजट पेश करने वाले हैं। इस बार बजट का आकार पिछले बजट की तुलना में 5% तक बड़ा हो सकता है। संकेत मिल रहे हैं कि यह बजट युवा, रोजगार और निर्माण पर केंद्रित होगा। 2023 के आखिर में चुनाव भी होना है। ऐसे में और घोषणापत्र के अधूरे वादों को पूरा करने का रोडमैप इस बजट में दिया जा सकता है।
सरकार कुछ योजनाओं के संचालन के लिए राशि की व्यवस्था करने के लिए सेस यानी उपकर लगाने जा रही है। राजीव युवा मितान क्लब के संचालन के लिए रिक्त अथवा कृषि भूमि की बिक्री, दान अथवा 30 साल से अधिक अवधि के पट्टे अथवा भोग बंधक के पंजीयन पर उपकर लगाया जाएगा। सरकार का अनुमान है कि इस उपकर से सालाना 130 करोड़ रुपए जुटा लिए जाएंगे। गोधन न्याय योजना के लिए पहले से शराब पर सेस लगाया गया है। कृषि मजदूर न्याय योजना के लिए भी किसी सेवा पर सेस लगाया जा सकता है।