रायपुर. छत्तीसगढ़ का पावन पर्व छेरछेरा के अवसर पर दूधाधारी मठ में भव्य आयोजन किया गया था। जिसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छेरछेरा मांगने पहुंचे। दूधाधारी मठ के महंत रामसुंदर दास ने दान स्वरूप धान और 2 लाख 1 हजार का दान दिया। सीएम बघेल ने पर्व का महत्व बताते हुए कहा कि यह पर्व दान देने और लेने दोनों का पर्व हैं, दान देने से उदारता की भावना और दान लेने से अहंकार कम होता हैं। इसके बाद सीएम को धान से तौला गया।
बता दें कि इसके बाद सीएम घरों घर छेरछेरा मांगने पहुँचे। जहां उन्होंने “छेरी छेरा माई कोटि के धान ल हेर हेरा” अरन बरन कोदो दरन जभे देभे तभे तरण कहकर छेरछेरा मांगा। उन्हें लोगो ने धान दान में दिया। बता दें कि रायपुर शहर का यह 500 साल पुराना बहुत ही प्राचीन मंदिर हैं। हर साल दूधाधारी मठ में छेरछेरा का पर्व ऐसे ही धूमधाम से मनाया जाता है। खास अवसर पर मठ को भव्य तरीके से सजाया गया था मठ के अंदर विशेष भजन कीर्तन का आयोजन था। मठ में भगवान राम माँ सीता का भी विशेष श्रृंगार किया गया था।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बचपन में जाते थे छेरछेरा मांगने
सीएम ने अपने भाषण में कहा कि किसान फसल काटने के बाद मिंजाई कुटाई करने के बाद छेरछेरा मांगने वालों को देते हैं। पशु, पक्षी सबके भोजन की व्यवस्था किसान करते हैं। पौनी पसारी, खेल संगठन, संस्कृतिक संगठन महिला समूह सब मांगने जाते हैं। राशि इकट्ठे कर सँगठन मजबूत करने का काम करते हैं, अन्नदाता कहते हैं अन्न मेरे घर आया है उसमें सबका अधिकार हैं, दान लेने और देने दोनों की परंपरा हैं। दान देने से उदारता की भावना, और दान लेने से अहंकार खत्म होता हैं। ये हमारी परंपरा हैं, हम छोटे थे तो बोरा लेकर मांगने जाते थे, हमारा पूरा संग़ठन जाता था, कितने भी बड़े लोग रहे, अपने अंदर के अहंकार समाप्त होता हैं। ऐसी हमारी परंपरा हैं, बालाजी की कृपा से अच्छी फसल हुई हैं। 85 लाख मीट्रिक टन धन की खरीदी कर चुके हैं, साथ साथ पेमेंट भी हो रहा है, कोई शिकायत नही किया कि खाता में पैसा नही आ रहा। ऐसी व्यवस्था आज तक नही हुई जो इस साल हुई।