जनता को हुआ एहसास कि यह बजट हर किसी की बेहतरी के लिए
इन्द्रधनुष के सात रंगों की तरह नये बजट के सात लक्ष्य
किसानों की बेहतरी के लिए खर्च करेंगे 17 हजार करोड़ रूपए
रायपुर, 11 फरवरी 2014
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि नये वित्तीय वर्ष 2014-15 के बजट को राज्य सरकार ने विगत दस वर्षो की अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर सजाया और संवारा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश का नया बजट वास्तव में समावेशी विकास के हमारे संकल्पों का इन्द्रधनुष है। इन्द्रधनुष के सात रंगों की तरह राज्य सरकार के नये बजट के सात लक्ष्य हैं, जिनमें किसानों की समृद्धि, भूख और कुपोषण से मुक्ति, स्वस्थ और शिक्षित छत्तीसगढ़, व्यक्ति में शक्ति, सशक्त नारी, सर्वाहारा के प्रति संवेदना और एकीकृत तथा समावेशी विकास के लक्ष्य शामिल हैं।
डॉ. रमन सिंह आज शाम यहां विधानसभा में अपनी सरकार की तीसरी पारी के प्रथम बजट पर सदन में पक्ष और विपक्ष के बीच हुई दो दिवसीय सामान्य चर्चा का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का 54 हजार 710 करोड़ रूपए का आगामी वित्तीय वर्ष का बजट राज्य सरकार के बेहतर वित्तीय प्रबंधन का भी आईना है। हमारे वित्तीय प्रबंधन को भारतीय रिजर्व बैंक ने भी राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ बताया है। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जो अपने बजट में से सर्वाधिक 20.7 प्रतिशत राशि (जीएसडीपी के प्रतिशत के रूप में) विकास मूलक कार्यो पर खर्च करता है, जबकि देश के सभी राज्यों का यह औसत केवल 11.4 प्रतिशत है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं में राशि खर्च करने के मामले में भी देश का पहला राज्य है, जो सामाजिक क्षेत्र में 14 प्रतिशत राशि व्यय कर रहा है, जबकि देश के अन्य सभी राज्यों का यह औसत केवल 7.3 प्रतिशत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत वर्षो के बजट की तरह इस बार भी हम आदिवासी क्षेत्रों में जनसंख्या के अनुपात कहीं अधिक राशि खर्च करने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के आदिवासी उपयोजना क्षेत्रों की जनसंख्या 32 प्रतिशत है, जबकि हम इस बार के बजट में इन क्षेत्रों के लिए 36 प्रतिशत राशि का प्रावधान किया गया है। इसे मिलाकर अनुसूचित जाति एवं जनजाति क्षेत्र के लिए जनसंख्या के अनुपात से भी अधिक यानी 48 प्रतिशत राशि आवंटित की गयी है। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि बजट को हमने अपने घोषणा पत्र के सभी बिन्दुओं पर केेन्द्रित किया है। तीसरी पारी में शपथ लेने के तुरन्त बाद हमने घोषणा पत्र मुख्य सचिव को सौंपा, ताकि उसके प्रत्येक बिन्दु पर अमल के लिए प्रशासन तंत्र तत्परता से अपनी तैयारी शुरू कर सके। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ की ढाई करोड़ से ज्यादा जनता को यह एहसास होने लगा है कि यह बजट उनमें से प्रत्येक नागरिक की बेहतरी के लिए है। यह सर्वग्राह्य और सर्वस्पर्शी बजट है। इसमें गांव, गरीब और किसानों सहित खेतिहर श्रमिकों, महिलाओं, युवाओं, छात्र-छात्राओं और समाज के सभी वर्गो के हितों का ध्यान रखा गया है। किसानों को ब्याज मुक्त ऋण देने का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के किसानों की मेहनत से ही राज्य का कृषि उत्पादन लगातार बढ़ रहा है और एक नहीं बल्कि दो बार प्रदेश को केन्द्र सरकार से कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है। राज्य सरकार ने इस बार के बजट में किसानों को ब्याज मुक्त ऋण देने का प्रावधान किया है। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि बजट में किसानों को धान पर 300 रूपए प्रति क्विंटल बोनस देने का प्रावधान किया गया है, यह बोनस अगले पांच वर्षो तक मिलता रहेगा। उन्होंने बजट को विकास के संकल्पों को इन्द्रधनुष बताते हुए उसके सात अलग-अलग लक्ष्यों की विस्तृत जानकारी दी। डॉ. सिंह ने सदन को बताया कि यह बजट विकास के संकल्पों का इन्द्रधनुष है। इसके सात लक्ष्यों में से किसानों की समृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगभग 17 हजार करोड़ रूपए की विशाल धनराशि का प्रावधान किया गया है। इसमें से 13 हजार करोड़ रूपए उन्हें सहकारी समितियों में उन्हें धान बेचने पर मिलेंगे। घोषणा पत्र के वायदे के अनुरूप किसानों को धान पर 300 रूपए प्रति क्विंटल की दर से बोनस देने के लिए बजट में 2400 करोड़ रूपए निर्धारित किए गए हैं। बजट में किसानों को ब्याज मुक्त कृषि देने के लिए 140 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। किसानों को सिंचाई पम्पों के लिए निःशुल्क बिजली देने और उनके पम्पों के विद्युतीकरण के लिए कुल 448 करोड़ रूपए की व्यवस्था बजट में की गयी है। राज्य सरकार ने गरीबों को भूख और कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए देश का पहला खाद्य सुरक्षा एवं पोषण सुरक्षा कानून बनाया है। प्रदेश के 85 प्रतिशत परिवारों को इस कानून के तहत एक रूपए प्रति किलो की दर से हर महीने 35 किलो चावल, पांच रूपए किलो में दाल और निःशुल्क आयोडिन नमक देने के लिए नये बजट में तीन हजार 900 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने खाद्य सुरक्षा और पोषण सुरक्षा कानून जरूर 2013 में बनाया , लेकिन हम तो कानून के चार साल पहले से ही प्रदेश के गरीबों को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध करा रहे थे। अब इसे कानूनी स्वरूप दिया गया है। अनुसूचित जाति बहुल क्षेत्रों में तीन वर्ष से कम उम्र के कुपोषित बच्चों को पका हुआ भोजन देने के लिए राज्य सरकार स्वयं की राशि से फुलवारी योजना संचालित कर रही है। इसके लिए बजट में दस करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भूख और कुपोषण मुक्ति के हमारे इन उपायों से प्रदेश में विगत सात वर्षो में बच्चों की कुपोषण दर में 11 प्रतिशत की कमी आयी है, जो राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। स्वस्थ और शिक्षित छत्तीसगढ़ बनाने के लिए हमने खाद्य सुरक्षा के साथ पोषण सुरक्षा जोड़ा है, वहीं प्रदेश के 56 लाख परिवारों को आमदनी के बंधन से परे स्वास्थ्य बीमा सुरक्षा के दायरे में लाकर स्मार्ट कार्ड दिए जा रहे हैं, जिसके आधार पर प्रत्येक परिवार को सालाना 30 हजार रूपए तक निःशुल्क इलाज की सुविधा मिलेगी। अब तक 35 लाख स्मार्ट कार्ड वितरित हो चुके हैं। इस योजना के लिए 88 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।
डॉ. सिंह ने मोबाइल मेडिकल यूनिट, संजीवनी 108 एक्सप्रेस, आई.ए.पी. जिलों में डॉक्टरों के लिए अतिरिक्त मानदेय, शहरी क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य मितानिनों की तैनाती का उल्लेख करते हुए कहा कि इनके उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं। राज्य में उप स्वास्थ्य केन्द्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और जिला अस्पतालों की संख्या राष्ट्रीय मापदण्ड के अनुरूप हो गयी है। शिक्षा के क्षेत्र में राज्य में सभी प्राथमिक और मिडिल स्कूलों के लिए भवनों की व्यवस्था हो चुकी है, जबकि 95 प्रतिशत हाई स्कूलों और हायर सेकेण्डरी स्कूल भी अब स्वयं के भवनों में संचालित हो रहे हैं। प्रदेश में शिक्षक छात्र अनुपात राष्ट्रीय औसत से बेहतर हो गया है। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि महिला सशक्तिकरण की अवधारणा को हम नारों मे नहीं बल्कि जमीनी हकीकत में बदल रहे हैं। महिला स्व-सहायता समूहों को स्कूली बच्चों की मध्यान्ह भोजन व्यवस्था, गणेवश वितरण और आंगनबाड़ी केन्द्रों में रेडी टू ईंट फुड कार्यक्रम के संचालन की शत-प्रतिशत जिम्मेदारी अगले वित्तीय वर्ष से सौंपी जाएगी। कॉलेजों में स्नातक कक्षाओं की बालिकाओं को निःशुल्क प्रवेश और निःशुल्क शिक्षा देने का ऐतिहासिक निर्णय लेकर बजट प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटियां घर लक्ष्मी होती हैं। अब राज्य के गरीब परिवारों को बेटियों के भविष्य की आर्थिक चिन्ता नहीं होगी। उनकी इस चिन्ता को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने नये बजट में नोनी सुरक्षा योजना शुरू करने का निर्णय लेकर 40 करोड़ रूपए का प्रावधान किया है। अब प्रत्येक बेटी के जन्म पर उसके नाम पर बैंक खाते में पांच साल तक पांच-पांच हजार रूपए जमा किए जाएंगे और जब बेटी 18 साल की हो जाएगी तो उसके एक लाख रूपए की धनराशि मिलेगी। इस प्रकार छत्तीसगढ़ में हमारी हर बेटी लखपति कहलाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने महिलाओं को सम्मान देने के लिए राशन कार्ड उनके नाम पर जारी करने का प्रावधान किया है। सर्वहारा के प्रति संवेदना के संकल्प को स्पष्ट करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि निराश्रितों और वृद्धजनों के लिए सुखद सहारा तथा सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना की राशि दोगुनी की जाएगी। उनकी पेंशन में 100 रूपए की वृद्धि होगी। इसके लिए बजट में 90 करोड़ रूपए का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है। डॉ. सिंह ने अटल खेतिहर मजदूर बीमा योजना, तेन्दूपता संग्राहक परिवारों के लिए चरण पादुका वितरण योजना भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वन अधिकार मान्यता पत्र धारक तीन लाख 40 हजार परिवारों को खेती के लिए निःशुल्क प्रमाणित बीज दिए जाएंगे। इसके लिए बजट में 20 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।