रायपुर 09 जनवरी 2014
कृषि विभाग द्वारा ग्रीष्मकालीन धान के बदले दलहन, तिलहन, मक्का लगाने वाले किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस योजना में पूर्व वर्षो में ग्रीष्मकालीन धान लगा रहे कृषको को अपने खेतों पर ग्रीष्मकालीन धान के बदले दलहन, तिलहन या मक्का प्रदर्शन आयोजित करने पर बीज, उर्वरक जैसे कृषि आदानों के लिए अधिकतम रूपये दो हजार रूपए प्रति एकड़ अनुदान देने का प्रावधान किया गया है। उप संचालक कृषि ने बताया कि योजना का लाभ अधिकतम 5 एकड़ के लिए किसी किसान को दिया जा सकता है यह अनुदान एक किसान को 5 वर्षो में एक बार प्रदान किया जाएगा।
ग्रीष्मकालीन धान लगाने से किसानों के साथ-साथ पर्यावरण को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। जहां धान में पानी की खपत अधिक होने से पानी का अपव्यय होता है, वहीं कम जलस्तर वाले स्थानों पर किसानों के बोर ऐसे समय पर सूख जाते हैं,जब फसल को पानी की बहुत ज्यादा जरूरत होती है। नतीजतन किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। वर्ष भर एक ही खेत में धान लगाने से धान के कीड़े बीमारियों को पूरे साल भर भोजन मिलते रहता है और उनके द्वारा किया जाने वाला नुकसान अप्रत्याशित रूप से बढ़ जाता है। ऐसी परिस्थितियों में कीड़े बीमारियों का प्रबंधन कष्टप्रद तथा खर्चीला हो जाता है। प्रदेश में दलहन एवं तिलहन के उत्पादन में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए तथा भूमि की उर्वरा क्षमता को बनाए रखने के लिए इन फसलों को फसल चक्र में सम्मिलित करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। धान फसल के लगातार उत्पादन के दुष्प्रभवों से बचने के लिए हमें खेतों पर एवं मेड़ों पर दलहन, तिलहन अवश्य लगाना चाहिए। प्रदेश में मक्का की फसल ग्रीष्मकालीन धान के अच्छे विकल्प के रूप में स्थापित हो रहा है। ग्रीष्मकालीन धान से होने वाले आय की तुलना में मक्का से होने वाली आय किसानों का आर्थिक सफलता प्रदान कर सकता है।