मामला 2008 से 2010 तक हुये प्रोटोकाॅल घोटाले का
2012 में जांच कर EOW नें दर्ज की थी एफआईआर
अम्बिकापुर
वर्ष 2008 से 2010 तक सरगुजा जिले में हुये प्रोटोकाॅल घोटाले में बिलासपुर हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा नें फैसला सुनाते हुए,, राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो(EOW) को अंतिम रिपोर्ट (चालान) संबधित न्यायालय में प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। मामले में अपराध अन्वेषण ब्यूरो द्वारा तत्कालिन अपर कलेक्टर व्ही के धुर्वे व अन्य के विरूद्ध 2012 में ही धारा 120बी, 420, 409, 467, 468 व 471 एवं धारा 13(1) (सी) (डी) एवं 13 (2) भ्रष्टाचार अनिवारण अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया था। लेकिन तब से इन ओहदेदार अधिकारियो की गिरफ्तारी नही हो सकी थी।
वर्ष 2010 में अधिवक्ता व आरटीआई कार्यकर्ता डीके सोनी द्वारा सूचना के अधिकार के तहत ली गई जानकारी में प्रोटोकाॅल विभाग द्वारा किये गये घोटाले का खुलासा किया गया था। उक्त मामले में प्रोटोकाॅल विभाग द्वारा वीआईपी को दी जाने वाली वाहन सुविधा में लाखों की गड़बडी का मामला उजागर होने के बाद मामले की शिकायत राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्योरों रायपुर से की गई थी। जिसके बाद लंबी जांच के बाद जून 2012 में ईओडब्लू नें दोषिय़ो के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया था।
मामले में संलिप्त अधिकारी
उक्त मामले में तत्कालीन अपर कलेक्टर व्ही के धूर्वे, सयुक्त कलेक्टर एन के सहारिया, डिप्टी कलेक्टर आर बी मरकाम, जेआर भगत, व्हीएस विश्वकर्मा, यूसी श्रीवास्तव तथा साथ ट्रेवलिंग एजेंसियो के संचालक को अभियुक्त बनाया गया है। लेकिन अपराध पंजीबद्ध होने के बाद भी अपराध अन्वेषण ब्योरों द्वारा मामले को दबाकर रख दिया गया था। इस संबंध में शिकायतकर्ता द्वारा कई बार एसपी, आईजी, डीआईजी, गृहमंत्री और मुख्यमंत्री से न्यायालय में अंतिम प्रतिवेदन, चालान प्रस्तुत करने का निवेदन किया गया लेकिन कुछ न हो सका। कार्यवाही नहीं होने के कारण शिकायतकर्ता अधिवक्ता डी.के.सोनी द्वारा उच्च न्यायालय में रिट प्रस्तुत किया गया जिसमें उच्च न्यायालय के जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा द्वारा सुनवाई करते हुये 17 दिसम्बर को सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्याय दृष्टांत का हवाला देते हुये आदेश दिया गया कि उक्त अपराधिक प्रकरण में तत्काल विवेचना कर विशेष न्यायालय में अंतिम प्रतिवेदन चालान प्रस्तुत किया जाये। उक्त प्रकरण की पेरवी अधिवक्ता सी जयंत के राव ने की।
यह था मामला
प्रोटोकाॅल विभाग द्वारा जिस ट्रेवलिंग एजेसी से बोलेरों क्रमांक सीजी 15 ए 2136 लेना बताया था उसे आरटीओं अम्बिकापुर द्वारा पिकअप माल वाहन बताया गया है। इसी तरह तवेरा क्रमांक सीजी 15 2810 के जांच में वह नम्बर स्पेन्डर मोटर साईकिल का निकला था तथा महासमुंद के नम्बर सीजी 06 3181 को प्रोटोकाॅल द्वारा टाटा सफारी बताया गया जबकि उक्त नम्बर मोपेड का निकला था। गौरतलब है कि इन वाहनो में कभी मुख्यमंत्री सफर करते तो कभी प्रदेश के अन्य मंत्री और व्हीआईपी।
आज भी जारी है ऐसे घोटाले
वर्तमान में भी सरगुजा जिला एवं सूरजपुर जिले में प्रोटोकाॅल के तहत लाखो रूपये का घोटाला किये जाने का आरोप अधिवक्ता डीके सोनी ने लगाया है। उनके द्वारा सूचना के अधिकार के तहत सूरजपुर जिले में 25 मार्च 2015 को आवेदन प्रस्तुत कर जिला गंठन के बाद से 2015 तक जानकारी व अम्बिकापुर जिला अध्यक्ष कार्यालय से जनवरी 2012 से 2015 तक की जानकारी मांगी गई है। लेकिन दोनों जिले के प्रोटोकाॅल अधिकारी आज तक कोई जानकारी नहीं दिये है। उक्त जानकारी के लिए वर्तमान में राज्य सूचना आयोग में लंबित है। इन जगहों से अगर जानकारी मिलती है तो एक बार फिर नये घोटाले का खुलासा सामने आ सकेगा।
हाईकोर्ट का आदेश