Political Parpanch: छत्तीसगढ़ प्रदेश की राजनीति में एक नियुक्ति ने भूचाल ला दिया है. इस नियुक्ति में सत्ताधारी दल के बड़े बड़े नेताओं के रात की नींद और दिन का चैन छीन लिया है. जी हाँ! राज्य युवा आयोग मे अम्बिकापुर के युवा पार्षद विश्व विजय सिंह तोमर की नियुक्ति पार्टी के भीतर के वो बड़े और पुराने नेता पचा नहीं पा रहे हैं, जो वर्षों से भाजपा के विभिन्न पदों में रहे लेकिन अचानक इस तरह के प्रमोशन के बारे में सोच भी नहीं पाए थे. हालाँकि जानकारी है कि तोमर की ये ताजपोशी उसके बीते राजनैतिक जीवन और बेवाक भाषाशैली के साथ युवाओं में अच्छी पकड़ के कारण हुई है.
सिंगल नाम से समस्या
छत्तीसगढ़ सरकार ने दो दिन पहले निगम मंडलों में नियुक्ति की अटकलों को विराम देते हुए राज्य युवा आयोग के अध्यक्ष के रूप में पहली नियुक्ति विश्व विजय सिंह तोमर की है. लेकिन आयोग में नियुक्ति के लिए जारी आदेश मे सिंगल नाम ने राजनैतिक पंडितों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है. जबकि अभी कई दिग्गज निगम मंडल में अपनी ताजपोशी को लेकर सपने देख रहे हैं. इस सरकार मे आयोग की पहली और और सिंगल नियुक्ति को लेकर लोग तरह तरह की चर्चा कर रहे हैं. क्योंकि तोमर जिस सरगुजा संभाग से आते हैं. वो सीएम का संभाग भी है और जिस संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर में युवा आयोग के अध्यक्ष विश्व विजय का घर है. वहाँ से क़रीब पाँच दावेदार अपने आप को निगम मंडल के लिए योग्य मान रहे थे. लेकिन फ़िलहाल उन सभी के सपने सिर्फ़ तोमर की नियुक्ति ही नाच रही है.
अम्बिकापुर में कई दावेदार
सरगुजा संभाग से कई नाम निगम मंडल के लिए चर्चा में है. जिसमे जशपुर से एक पूर्व विधायक, बलरामपुर से आदिवासी समाज के बड़े नेता के साथ अन्य नाम की चर्चा भी ज़ोरों पर हैं. लेकिन संभाग मुख्यालय में तो निगम मंडल की रेवड़ी खाने के लिए कई नेता मुँह बाएँ खड़े हैं. हालाँकि इनमें सबसे बडी का दावेदारी भाजयुमो के एक बड़े पदाधिकारी रह चुके नेता की मानी जा रही थी. और वो पिछले कुछ सालो से अब तक संगठन मे तमाम दायित्व निभा चुके हैं. और संगठनात्मक कार्य में अपने आप को झोंक दिया है. इसके बाद शहर के एक ओबीसी नेता, और एक बहुत पुराने वृद्ध हो चले नेता भी इन नियुक्तियों में अपने नाम को टटोलने में लगे हैं. पर पिछले कुछ वर्षों से भाजपा में टिकट बँटवारे से लेकर पद बाँटने की प्रकिया में अप्रत्याशित नाम आने के कारण इन नियुक्ति में कोई भी नेता 100 फ़ीसदी आश्वस्त नज़र नहीं आ रहा है.
चुनाव के बाद तक नियुक्ति
राजनैतिक चौपाल में ये चर्चा है कि निगम और मंडल मे आधी नियुक्ति नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के पहले और आधी नियुक्ति उसके बाद की जाएगी. जिससे इन चुनाव में दावेदार भविष्य की संभावनाओं के साथ तन मन धन से चुनाव मे काम करें. वैसे ये क़यास लगाए जा रहे हैं कि बदली हुई भाजपा की नीति के अनुसार आधे से अधिक नाम अप्रत्याशित हो सकते हैं. क्योकि ऐसा माना जा रहा है कि निगम मंडल में नियुक्ति में पार्टी के प्रति समर्पण और पिछले रिकार्ड को देखकर होने वाली है. मतलब चापलूसी और सिफ़ारिश की बुनियाद पर नेतागीरी करने वाले आने वाली दूसरी सूची से नदारद रह सकते हैं.
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