कांकेर। जिले के भानुप्रतापपुर ब्लॉक में करीब 15 दिनों से 22 हाथियों के दल ने आतंक मचा रखा है। हाथियों के दल ने कई घरों को तबाह कर दिया है। इतना ही नहीं घरों में रखे धान को चट कर किसानों की साल भर की मेहनत को भी बर्बाद कर दिया है।
गांव के अधिकांश घर मिट्टी के हैं, ऐसे में ग्रामीणों को हाथियों के आतंक से बचाने के लिए प्रशासन मजबूर होकर उन्हें निर्माणधीन जेल भवन में शिफ्ट कर रही है। जिस जेल भवन को कैदियों को रखने बनाया गया था, उसी जेल में कैदियों को शिफ्ट करने से पहले ही ग्रामीणों को बिना किसी अपराध कैदियों को तरह रखा जा रहा है। स्थिति इतनी दयनीय है कि किसी के गोद मे डेढ़ माह का बच्चा है तो कोई बूढ़ी माँ को हाथ पकड़कर जेल में लेकर आ रहा है।
दसअसल हाथियों का दल गांव के बेहद नजदीक है, और रात होते ही खाने की तलाश में गांव में घुस आता है, हाथियों के दल ने कई ग्रामीणों के घरों में रखे धान को बर्बाद कर दिया तो वहीं कई कच्चे घरों को भी तोड़ दिया है।
आलम यह है कि जब रात में ग्रामीण अपनी जान बचाने के लिए जेल में शरण लेने जाते हैं तो उन्हें यह भी पता नहीं होता है कि सुबह जब वो लौटेंगे तो उनका घर सुरक्षित मिलेगा भी या नहीं। मजबूर ग्रामीणों के पास जेल में रहने के सिवाय कोई चारा नहीं है।
करीब 70 से 80 ग्रामीण रोज शाम होते ही घरो से खाना साथ लेकर जेल भवन की ओर रुख कर लेते हैं और फिर इनकी रात जेल में ही बीतती है, सुबह होते ही जैसे हाथियों का दल विश्राम करने गांव से निकलकर डेम की ओर बढ़ता है, ग्रामीण अपने घरों की ओर लौटते हैं और दहशत के बीच खेती किसानी के काम में जुट जाते हैं।
जानकारी के मुताबिक इस दल में 22 हाथी हैं। अगर इन्हें इलाके से खदेड़ने की कोशिश की तो इस दौरान हाथी भड़क सकते हैं, जिन्हें संभालना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में वन विभाग टीम लगातार हाथियों की लोकेशन ट्रेस कर रही है और जिस भी इलाके में हाथी जा रहे है, वहां से ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान में भेजा जा रहा है।
बता दें हाथियों का दल पहली बार सितम्बर 2020 में कांकेर जिले में घुसा था, जिसने नरहरपुर, चारामा, और भानुप्रतापपुर इलाके में खेत के फसलों को जमकर नुकसान पहुँचाया था लेकिन इस बार हाथी घरों को निशाना बना रहे हैं। इस बार लोगों के जान को भी खतरा है। ऐसे में वन विभाग टीम लोगों की जान बचाने को प्राथमिकता दे रही है।