अम्बिकापुर। सरगुजा जिले के मेडिकल कॉलेज अस्पताल के स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट मे बच्चो की मौत के मामले ने ऐसा तूल पडका कि एक तरफ जहां स्वास्थ मंत्री अपने दिल्ली के कार्यक्रम को रद्द कर विशेष विमान से अम्बिकापुर पहुंच गए। तो वहीं प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री औऱ सरगुजा के साथ बलरामपुर जिले के प्रभारी मंत्री शिव डहरिया भी अपने सभी काम काज छोडकर सडक मार्ग से ही अम्बिकापुर पहुंच गए।
इस दौरान आज सोमवार को प्रेस कांफ्रेस मे मंत्री शिव डहरिया के माथे से उस वक्त पसीन छूटने लगा। जब पत्रकारो ने उनसे बलरामपुर जिले मे विशेष पण्डो जनजाति के मौत मामले मे एक सवाल पूछा।
अम्बिकापुर मे बच्चो की मौत के मामले के एक महीने पहले बलरामपुर जिले मे 25 से अधिक पण्डो जनजाति के लोगो की मौत हो चुकी है। जिसके बाद आज एक बार फिर से पण्डो जनजाति के ही दो लोगो की मौत का मामला बलरामपुर जिले के चूनापाथर गांव से सामने आया है। इन्ही पण्डो जनजाति की मौत के मामले मे पहले तो पत्रकारो ने मंत्री जी से पूंछा कि आप उनकी मौत के मामले मे तो एक बार भी बलरामपुर नहीं गए। तो उनका जवाब था कि हर जगह जाना संभव नहीं है।
वहां पर पूरा प्रशासनिक अमला लगा है। और उस मामले मे हमने कलेक्टर तक को हटा दिया है। कुल मिलाकर अपनी सरकार की संवेदनशीलता जाहिर कर मंत्री जी दूसरे सवाल की प्रतिक्षा मे थे। तो इतने मे पत्रकारो की तरफ से जो सवाल आय़ा। उसमे मंत्री जी माथे का पसीना पोछने के अलावा कुछ नहीं कर पाए। क्योकि मंत्री जी से ये सवाल पूछा गया था कि आप बलरामपुर के भी प्रभारी है। तो उस गांव का नाम ही बता दीजिए। जहां पण्डो जनजाति के लोगो की मौत हुई है।
सरगुजा एंव बलरामपुर प्रभारी मंत्री शिव डहरिया ने कहा यह प्रश्न में नहीं समझता कि गांव का नाम हमारे जिले का है और कलेक्टर महोदय उसे देख रहे हैं अभी मैं उस गांव गया नहीं हूं जब वहां मेरा दौरा होगा तो निश्चित रूप से वहां की जानकारी लेकर आगे की कार्रवाई करूंगा हर जगह हमारे अमला उपलब्ध हैं। जहां पर कंट्रोल हो जाता है और हम लोग जाते हैं और कार्रवाई होती है और अधिकारियों को, स्थानीय लोगों को, स्थानीय विधायक और जो जनप्रतिनिधि हैं वहां पर जाकर तुरंत समाधान करने का कार्य करते हैं और पांडव जनजाति में पंडो जनजाति लोगों के लोगों में जागरूकता है स्वास्थ्य के लिए भी उनमें जागरूकता है और बीमारी होती है उसकी छोटे-छोटे बीमारी का इलाज भी नहीं कराते हैं हमने यह देखा है मैं पहले भी वहां गया हूं ऐसा नहीं मैं प्रभारी मंत्री हूं तभी जाऊंगा तब उसका निराकरण होगा उसके पहले भी हम लोग वहां गए हैं जिसमें हमने देखा है कि लोगों में जागरूकता की कमी है
दरअसल बलरामपुर जिले के रामंचद्रपुर ब्लाक के बरवाही और दोलंगी गांव मे रहने वाले पण्डो जाति के लोगो खासकर महिलाओ की मौत के मामले के बाद वहां के कलेक्टर समेत कई अधिकारियो पर कार्यवाही की गाज गिर गई थी। जिसके बाद वहां भी एक कथित जांच कराने की बात सरकार के नुमाईंदो द्वारा की गई थी। लेकिन जांच का और जांच रिपोर्ट का आज तक कुछ पता नहीं है।
इधर मंत्री के प्रेस कांफ्रेस के बाद भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने इस मामले मे सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाते हुए। ये आरोप लगाया कि इस सरकार का बच्चो औऱ महिलाओ की मौत से कोई वास्ता नहीं है। इनका तो सिर्फ रेत औऱ खनिज माफियाओ के साथ नशे के तस्करो से संबध है।
प्रदेश प्रवक्ता अनुराग सिंह ने कहा अभी भी फिर 3-4 मृत्यु और हुई है संख्या बढ़कर 30 के आसपास पहुंच गई है अब लगातार पांडव समाज की मृत्यु हो रही है स्वास्थ्य मंत्री वहां जानकारी ली थी उन्होंने बताया था कि 3 दिन में हम रिपोर्ट मंगाएंगे। आज तक 1 एक महीने हो गए परंतु रिपोर्ट की जानकारी नहीं मिल रही है। तो क्यों मौत हो रही है यही नहीं पता है किस गांव में मौत हुई है प्रभारी मंत्री को यह भी नहीं पता है। तो यह गैर जिम्मेदार लोग हैं और इनको आदिवासियों के मौत और बच्चों के मौत से इनका कोई लेना देना नहीं है। इस सरकार का संबंध रेत माफियाओं से , ब्राउन शुगर माफियाओं से, गांजा माफियाओं से और कुल मिलाकर तस्कर से ही इनका संबंध है और यह उसी क्षेत्र में काम करते हैं।
सरगुजा संभाग मे सिलसिलेवार पहले बलरामपुर मे पण्डो जनजाति के लोगो की मौत हुई। फिर जशपुर जिले के पत्थलगांव मे कार ने श्रद्धालुओ को रौंद दिया। फिर मुख्यालय अम्बिकापुर के मेडिकल कॉलेज मे बच्चो की मौत का मामला हुआ। लेकिन इन तीनो मे मामले मे सरकार की ओऱ से जितनी सक्रियता अम्बिकापुर के मामले मे दिखाया गया। उसको लेकर ये सवाल तो उठता है। कि आखिर अम्बिकापुर सरकार की नजरो मे इतना संवेदनशील शहर क्यों है ? वो भी तब जब जिले के प्रभारी अम्बिकापुर के मामले मे सडक मार्ग से ही अम्बिकापुर पहुंच गए। औऱ बलरामपुर मे पण्डो की मौत मे हेलीकाप्टर से भी झांकने ना गए हो।