
सूरजपुर। जिले को बाल विवाह मुक्त बनाने के लक्ष्य की दिशा में जिला प्रशासन लगातार सख्त और सक्रिय भूमिका निभा रहा है। कलेक्टर एस. जयवर्धन के नेतृत्व में प्रशासनिक तंत्र द्वारा बाल विवाह की रोकथाम के लिए त्वरित कार्रवाई का एक और उदाहरण सामने आया है।
मंगलवार को टोल फ्री नंबर 1098 पर सूचना मिली कि प्रतापपुर के धरमपुर में 16 वर्षीय बालक का विवाह करवाया जा रहा है। सूचना मिलते ही जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल ने मामले की जानकारी जिला कार्यक्रम अधिकारी शुभम बंसल को दी। निर्देश मिलते ही संयुक्त टीम तत्काल मौके के लिए रवाना हुई।
मौका निरीक्षण में बालक के दस्तावेजों की जांच की गई जिसमें जन्म प्रमाण पत्र व शैक्षणिक रिकॉर्ड में बालक की जन्म वर्ष 2009 पाया गया, जबकि आधार कार्ड में 2006 दर्ज था। स्पष्ट जांच के बाद उसकी वास्तविक उम्र 16 वर्ष होने की पुष्टि हुई। बालक का विवाह 19 वर्षीय युवती से अम्बिकापुर स्थित एक शादी घर में तय किया गया था।
टीम ने फोन के माध्यम से लड़की पक्ष को समझाइश दी कि नाबालिग बालक से विवाह बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है। ऐसे में न केवल बालक और बालिका की सुरक्षा जोखिम में पड़ती है, बल्कि दोनों पक्षों के अभिभावकों पर भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। समझाइश के बाद लड़की पक्ष ने विवाह स्थगित करने पर सहमति व्यक्त की।

टीम ने शादी घर संचालक को भी चेतावनी देते हुए कहा कि बिना दूल्हा-दुल्हन की आयु की प्रमाणिक जानकारी के बुकिंग की गई तो उन पर भी कानूनी कार्रवाई होगी। संचालक ने तत्काल विवाह नहीं कराने और आगे से ऐसी गलती नहीं दोहराने का आश्वासन दिया। परिजनों से बात-चीत के बाद सभी ने बालक के 21 वर्ष का होने के बाद ही विवाह कराने पर सहमति दी। इसके पश्चात टीम की उपस्थिति में दस्तावेज सत्यापन व पंचनामा की प्रक्रिया पूरी की गई।
इस कार्रवाई में मनोज जायसवाल (जिला बाल संरक्षण अधिकारी), प्रभारी परियोजना अधिकारी संतोषी सिंह, जैनेन्द्र दुबे, परामर्शदाता अंजनी साहू, चौकी प्रभारी रघुवंश सिंह, संतोषी टंडन, सचिव बाबूनाथ तिर्की और कृष्णा जायसवाल शामिल रहे।
इसी के साथ जिले में बाल विवाह रोकथाम को लेकर लगातार सकारात्मक उपलब्धियां सामने आ रही हैं। सूरजपुर के 480 ग्राम पंचायतों में से 192 ग्राम पंचायत एवं 3 नगर पंचायत को अब तक बाल विवाह मुक्त घोषित किया जा चुका है। ग्राम सभा प्रस्ताव, पंचायत अनुमोदन और क्षेत्रीय पर्यवेक्षक की अनुशंसा के पश्चात जिला कलेक्टर द्वारा प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं।
राज्य शासन द्वारा वर्ष 2029 तक पूरे छत्तीसगढ़ को बाल विवाह मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसी दिशा में शेष ग्राम पंचायतों और शहरी निकायों पर प्रशासन की विशेष निगरानी जारी है। जिला प्रशासन, महिला एवं बाल विकास विभाग, पुलिस विभाग, पंचायत जनप्रतिनिधि और बाल संरक्षण इकाई संयुक्त रूप से इस सामाजिक कुरीति के पूर्ण उन्मूलन के लिए मुस्तैद हैं।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल ने अपील की है कि बाल विवाह की जानकारी होने पर तुरंत टोल फ्री नंबर 1098, 112, 181 या नजदीकी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पर्यवेक्षक, ग्राम पंचायत के सरपंच/सचिव या पुलिस थाना को सूचना देकर बालक-बालिकाओं का भविष्य सुरक्षित करने में सहयोग करें।
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