Painted stork लंबी यात्रा कर छत्तीसगढ़ पहुंचे रंगबिरंगे सारस, कैसे होगा इनका सरंक्षण?

खैरागढ़. जिला केसीजी का छोटा सा गांव ‘रूसे’ आज कल प्रवासी पक्षियों का डेरा बना हुआ है। प्रवासी पक्षियों की धमक से गांव में पक्षी प्रेमी भी बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। गांव के जलाशय में अस्थायी प्रवासी पक्षी पेंटेड स्टॉर्क (जिसे जांघिल भी कहा जाता है) की संख्या दो वर्षो में 80 के लगभग पहुंच गई है।

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भारत, भूटान, नेपाल, पाकिस्तान आदि क्षेत्रों में पाए जाने वाले ये पक्षी साधारणतह शांत स्वभाव के होते हैं इनका मुख्य भोजन मछली, मेंढक और छोटे मोटे जलजीव है। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने इस पक्षी को अपनी बुक में रेड लिस्ट में रखा है, मतलब इसका संरक्षण संधारण करना जरूरी है। IUCN की रेड लिस्ट वाला पक्षी जब छत्तीसगढ़ प्रवास पर हो तो पक्षी प्रेमियों और फोटोग्राफरों में रोमांच पैदा होना लाज़मी है। गर्मी के सीजन में कई किलोमीटर की यात्रा कर ये पक्षी खैरागढ़ जिले में आते हैं। इनकी विशेषता है कि यह एक ही मुद्रा में घंटों खड़े रह जाते हैं। यहां इनकी संख्या फिलहाल 80 से अधिक है। इसके अलावा प्रवासी पक्षी यूरेशियन कॉमन क्रेन भी रुसे गांव के जलाशय में पहुंच रहे हैं जिससे छत्तीसगढ़ के पक्षिप्रेमी आनंदित दिखाई देते हैं।

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बर्ड फोटोग्राफर प्रतीक ठाकुर ने बताया खैरागढ़ के रूसे डेम में बहुत से बर्ड फोटोग्राफर पहुंच रहे है। रुसे छत्तीसगढ़ का एकमात्र डेम है जहां कॉमन क्रेन आते है। पहले मान लिया गया था की कॉमन क्रेन विलुप्त हो चुके है लेकिन रूशे जलाशय में दिखने के बाद से ही सालभर बर्ड्स फोटोग्राफर यहां फोटोग्राफी करने आ रहे है। यहां और भी बहुत से माइग्रेटरी बर्ड और डक्स है। कॉमन क्रेंस की मात्रा कुछ कम जरूर हुई है जलाशय के ऊपर से गुजरा हाईटेंशन तार जिसका कारण हो सकता है।