कांकेर. पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा हैं। लेकिन आज आजादी के 75 साल बाद भी हम कितने आजाद हुए ? गांव के अंतिम छोर में बैठा आदमी इस आजादी के अमृत महोत्सव से अनभिज्ञ हैं। तमाम स्वास्थ्य शिक्षा के दावों के बीच छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले से ऐसी तस्वीर सामने निकल कर आया हैं। जहां स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव हैं। वैसे तो हर दफा इस तरीके की तस्वीर हमने देखा हैं। सुविधाओं के अभाव में मरीजों को घाट में ले जाकर नदी तालाब को पार करवाना, एंबुलेंस का नाम मिलना, स्वास्थ्य सुविधाओं का ना होना।
जिले के अंदरूनी गांवों में स्वास्थ्य सेवाएं नहीं होने के कारण ग्रामीणों को बहुत दिक्कत होती हैं। इसका एक और उदाहरण फिर सामने आया हैं। कोयलीबेड़ा के ग्राम पंचायत स्वरूप नगर के आश्रित गांव पोरियाहुर निवासी विष्णु गावड़े (25) की रात 3 बजे अचानक उल्टी दस्त होने लगी। सुबह तक इंतजार नहीं किया जा सकता था। मरीज की हालत बहुत खराब हो गई था। वह पैदल अस्पताल जाने की स्थिति भी नहीं था। उसे खाट पर लेटाकर ग्रामीण और परिजन बारकोट नदी के उस पार जाने के लिए निकल पड़े। जिसका वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा हैं। बताया जा रहा हैं कि, संजीवनी एंबुलेंस 108 को कॉल भी कर दिया।
उधर, एंबुलेंस तो नदी के पास पहुंच गई। लेकिन, ग्रामीणों को देर हो गई। इंजतार के बाद एंबुलेंस वापस लौट गई। ग्रामीण मरीज को खाट पर लेकर 2 किमी और चलकर संगम पहुंचे। यहां एंबुलेंस को कॉल किया, फिर उसी से मरीज को पखांजूर अस्पताल ले जाया सका। अब सवाल यह खड़ा हो रहा हैं कि, आखिर कब तक रहेगी अंदरूनी गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं की दुदर्शा सुधार पाएगी।