रायपुर. राज्य सरकार ने शहरी क्षेत्रों में पट्टाधारी लोगों के पट्टों को भूमि स्वामी अधिकार में बदलने की कवायद तेज कर दी है. नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने पट्टाधारियों की निर्धारित सीमा तक अतिरिक्त कब्जे की जमीन के नियमितिकरण, अवैध या अनियमित पट्टा हस्तांतरण के नियमितिकरण और भू-उपयोग में परिवर्तन के नियमितिकरण कार्यों में तेजी लाने सभी कलेक्टरों को पत्र लिखा है. विभाग ने पट्टों के नियमितिकरण, भू-स्वामी अधिकार और पट्टा नवीनीकरण की कार्यवाही शीघ्र सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. कलेक्टरों को विकास प्रभार के निर्धारण में पूर्ण सावधानी बरतने कहा गया है जिससे कि किसी प्रकार की वित्तीय हानि न हो.
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधृति अधिकारों का प्रदान किया जाना) अधिनियम-1984 में संशोधन कर पट्टाधृति अधिकार के पट्टों को भूमि स्वामी अधिकार में परिवर्तित करने का फैसला किया है। साथ ही पट्टाधारियों के कब्जे वाली अतिरिक्त जमीन के निर्धारित सीमा तक नियमितिकरण, अवैध या अनियमित पट्टा हस्तांतरण के नियमितिकरण और भू-उपयोग में परिवर्तन का नियमितिकरण करते हुए भूमि स्वामी अधिकार प्रदान करने की पहल की है. इसे अमल में लाने शासन ने छत्तीसगढ़ नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधृति अधिकारों का प्रदान किया जाना) (संशोधन) अधिनियम-2019 को अधिसूचित भी कर दिया है. राजपत्र में अधिसूचना के प्रकाशन के साथ ही ये नए नियम राज्य के सभी नगरीय निकायों में प्रभावी हो गए हैं.
नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने सभी कलेक्टरों को निर्देशित किया है कि पट्टाधारी के निर्धारित सीमा तक अतिरिक्त कब्जे की भूमि के नियमितिकरण, अवैध या अनियमित पट्टा हस्तांतरण के नियमितिकरण और भूमि के प्रयोजन में परिवर्तन के नियमितिकरण का आवेदन या इस संबंध में शिकायत प्राप्त होने पर कलेक्टर द्वारा प्राधिकृत अधिकारी द्वारा शीघ्र कार्यवाही प्रारंभ की जाए. प्राधिकृत अधिकारी स्वप्रेरणा से भी ऐसे मामलों पर कार्यवाही कर सकते हैं. नियमितीकरण की कार्यवाही के लिए जिलों में आवश्यकतानुसार निरीक्षण दलों का गठन करने कहा गया है. इन दलों में राजस्व अधिकारी के साथ स्थानीय नगरीय निकायों के अधिकारी तथा ग्राम एवं नगर निवेश विभाग के अधिकारी शामिल रहेंगे.
नियमितिकरण के लिए प्राधिकृत अधिकारी द्वारा संयुक्त दल से स्थल निरीक्षण प्रतिवेदन लिया जाएगा. पट्टाधारी के अतिरिक्त कब्जा की भूमि नियमितिकरण योग्य होने पर अर्थात कब्जे के अधीन अधिक भूमि व्यवस्थापित मूल भूमि से 50 प्रतिशत की निर्धारित सीमा तक नियमितिकरण किया जाएगा. इसके तहत नगर पंचायतों में 1,500 वर्गफुट, नगर पालिकाओं में 1,200 वर्गफुट और नगर निगमों में 1050 वर्गफुट भूमि का नियमितिकरण किया जाएगा. रायपुर नगर निगम क्षेत्र में अधिकतम 900 वर्गफुट जमीन का नियमितिकरण किया जाएगा. पट्टाधारी द्वारा निर्धारित विकास प्रभार जमा कराए जाने पर कब्जे की अतिरिक्त भूमि को मूल पट्टाधारी के पक्ष में पट्टा प्रदान कर नियमितिकरण या भू-स्वामी अधिकार प्रदान किया जाएगा.
अवैध या अनियमित हस्तांतरण और भूमि प्रयोजन में परिवर्तन के मामलों में संयुक्त दल के प्रतिवेदन, कब्जाधारी के भूमिहीन होने, अधिनियम के अंतर्गत पात्र हितग्राही होने, भूमि प्रयोजन में परिवर्तन स्वीकार्य होने और वहां प्रभावी मास्टर प्लान के उल्लंघन नहीं होने की स्थिति मे निर्धारित विकास प्रभार जमा कराने के बाद पट्टा जारी कर नियमितिकरण या भूमि स्वामी अधिकार में परिवर्तित किया जाएगा. परिवर्तित भूमि प्रयोजन आवासीय होने पर कलेक्टर गाइडलाइन दर का 125 प्रतिशत और गैर-आवासीय होने पर 200 प्रतिशत के हिसाब से विकास प्रभार लेने के बाद ही संबंधितों को भूमि स्वामी अधिकार प्रदान किए जाएंगे.
वर्ष 1984 में दिए गए पट्टों की 30 वर्ष की अवधि पूर्ण हो चुकी है. इन पट्टों के नवीनीकरण की कार्यवाही बड़ी संख्या में लंबित है. नगरीय प्रशासन विभाग ने छत्तीसगढ़ नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधृति अधिकारों का प्रदान किया जाना) (संशोधन) अधिनियम-2019 के प्रावधानों के अनुसार अगले 30 वर्षों के लिए इनके नवीनीकरण के भी निर्देश कलेक्टरों को दिए हैं.