रायपुर. छत्तीसगढ़ के बीजापुर के भैरमगढ़ के सीएचसी के डॉक्टरों व स्टाफ ने एक नया इतिहास रचा है. 24 हफ्ते की गर्भवती महिला का सफल डिलीवरी कराया गया है. इस डिलीवरी को लगभग 2 महीने हो गए हैं लेकिन जच्चा और बच्चा दोनों अब स्वस्थ है. डॉक्टरों का कहना है कि यह किसी चमत्कार से कम नहीं है. यह बच्ची जिन मुश्किल हालातों से निकली है, वह अपने आप में शोध का विषय है.
5 अप्रैल को भैरमगढ़ सीएचसी में प्रसव पीड़ा के साथ राजेश्वरी गोंडे पहुंची थी. डॉक्टरों को बताया कि अभी 24 हफ्ते का ही गर्भ है. मां की तेज प्रसव पीड़ा कहीं जच्चा-बच्चा दोनों के लिए परेशानी न पैदा कर दे, डॉक्टरों ने प्रसव करवाने का फैसला लिया. जन्म के बाद डॉक्टर भी बच्चे को देखकर हैरान थे क्योंकि बच्चे गर्भधारण के 36वें से 40वें हफ्ते में जन्म लेते हैं. तब तक उनका हर एक अंग विकसित हो चुका होता है. इसके पहले जन्म लेने वाले बच्चों को प्री-मच्योर बेबी कहा जाता है.
जन्म के बाद ही उसे निमोनिया हो गया. फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं हुए थे तो सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, तो वेंटीलेटर पर थी. हार्ट में छेद है, जिसे दवाओं से भरा जा रहा है. वह दूध नहीं पचा पा रही थी क्योंकि आंते विकसित नहीं हुई थीं. तीन बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया गया, अभी वह ठीक है. वजन बढ़ रहा है. शारीरिक विकास तो ठीक है, मगर मस्तिष्क का विकास सबसे महत्वपूर्ण है, जो आने वाले दिनों में टेस्ट से पता चलेगा.
नवजात बच्चे की औसत लंबाई 45-50 सेंटीमीटर तक होती है. इस बच्ची की लंबाई 20 सेंटीमीटर थी. बच्चे का वजन 2.5 से 3.5 किलो ग्राम होता है. इस बच्ची का वजन सिर्फ 440 ग्राम था, जो आज बढ़कर 1.05 किलोग्राम हो गया है.