अम्बिकापुर क्षेत्र को प्राकृतिक आपदा से बचाने वाला.. आपदा से हुए नुक्सान का हिसाब रखने वाला कार्यालय खुद प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहा है.. हम बात कर रहे है सरगुजा जिले के धौरपुर तहसील कार्यालय की जहाँ दस्तावेजो और कंप्यूटर को पन्नी से ढक कर बारिश के पानी से बचाया जा रहा है.. दरअसल यह तहसील कार्यालय अपनी निर्माण एजेंसी के भ्रष्टाचारो का दंश इस बदनसीबी के रूप में झेल रहा है.. कि राजस्व रिकार्ड, कंप्यूटर और 12 लाख कीमत के प्रिंटर को पन्नी से ढक कर बचाया जा रहा है… तहसील भवन का शुभारम्भ 32 वर्ष पहले 1985 को किया गया था और तब से आज तक इसकी मरम्मत नहीं हो सकी है..
वैसे तस्वीरें सब कुछ बया कर रही है लेकिन फिर भी हम आपको बता देते है की तालाब में तब्दील हो चुका यह भवन दरअसल धौरपुर का तहसील कार्यालय है.. घटिया निर्माण कार्य का अंजाम यह है की कार्यालय की छत टपकती नहीं बल्की ऐसा लगता है जैसे खुले आसमान के नीचे कार्यालय लगा हो और बारिश आने के बाद कीमती दस्तावेज और मशीनों को तिरपाल से ढंका गया है.. वही कार्यालय में पदस्थ स्टाफ भी क्या करे काम करना उनकी मजबूरी है वरना शोकाज नोटिस और उसके बाद दिखावे की कार्यवाही का डंडा जो इन पर चल सकता है.. लिहाजा बिना हो हल्ला किये ये बेचारे अपनी ड्यूटी बजाते है..
विश्वसनीय छत्तीसगढ़ का नारा देने वाले सूबे के मुखिया ने अपना तेरह वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है और इस तेरह वर्ष को विकाश के नाम समर्पित भी किया जाता है… लेकिन सरगुजा में विकाश के मायने ही कुछ और है.. यहाँ विकाश के मायने है भ्रष्टाचार.. यहाँ बेरोजगारों को एक नया रोजगार मिला हुआ है और इस रोजगार के तहत ये पहले राजनीति में प्रवेश करते है फिर ठेकेदार बन जाते है और फिर घटिया निर्माण कार्य कर अपनी बेरोजगारी को दूर करते है..और इस तरह सरगुजा में पुल पुलिया और भवनों के जर्जर होने की इबारत लिखी जाती है..
बात सिर्फ धौरपुर तहसील भवन की ही नहीं है पिछले वर्षो में बारिश की वजह से इस क्षेत्र में सैकड़ो पुल पुलिया बह गए.. संभाग मुख्यालय के मेडिकल कालेज के वार्ड से लेकर स्कूल भवन और ना जाने कितने कार्यालयों की यही दशा है.. हालही में अस्पताल में छाता लेकर बैठे डाक्टरों को देख क्षेत्र के विधायक चिंतामणि महराज को अस्पताल के बाहर तिरपाल लगाकर एडमिट होना पडा था.. यानी की एक दो नहीं बल्की सम्पुर्ण सरगुजा में निर्माण कार्यो की गुणवत्ता स्तरहीन है… और विभाग के मंत्री भी गहरी नींद में सोये हुए है..
बहरहाल रमन सरकार और उनके मंत्रियो ने तेरह वर्षो में विकास के बड़े दावे किये है जाहिर है की क्षेत्र में निर्माण कार्यो और विकास की तेज गति दिखती है लेकीन कमीशन खोरी के इस खेल में निर्मण की गुणवत्ता को तार तार कर दिया गया है.. और नतीजा यह है की कही डाक्टर छाता लेकर अपनी कुर्शी में बैठते है तो कही राजस्व अभिलेखों को तिरपाल से ढंका जाता है.. और जिम्मेदार या तो जांच के बाद कार्यवाही या फिर जल्द सुधार लेने की बात कहते है..