उपेक्षा का शिकार हो गया हसदेव उद्गम

नाम के अनरूप नही नही मिल पाई पहचान, पर्यटन स्थल के दृष्टिकोण से सुविधा बढाने की मांग

कोरिया (सोनहत से राजन पाण्डेय की रिपोर्ट)

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छ.ग.राज्य के लिये विद्युत कि जननी कही जाने वाली हसदेव नदी का उद्गम स्थल उपेक्षा का शिकार हो गया हैं। हसदेव नदी महानदी की प्रमुख सहायक नदी है तथा कोरबा के कोयला क्षेत्र में तथा चांपा मैदान में प्रवाहित होने वाली प्रमुख नदी है । यह नदी कोरिया जिले के सोनहत विकासखंड अंर्तगत कैमूर की पहाडि़यों से लगे ग्राम मेड्रा से निकलकर कोरबा, बिलासपुर जिलों में बहती हुई महानदी में मिल जाती है । हसदेव का अधिकांश प्रवाह क्षेत्र ऊबड़-खाबड़ है । इसकी कुल लंबाई 209 किमी. और प्रवाह क्षेत्र 7.210 किमी. है।

विकास खण्ड सोनहत अन्तर्गत ग्राम मेण्ड्रा से निकली हसदेव नदी ने गौरघाट और अमृतधारा जैसे कई आकर्षक प्रपात बनाए है। जो कि लोगो के लिए आकर्षण को केन्द्र बना हुआ है,और प्रतिदिन इन प्रपातो में हजारो की संख्या में सैलानीयों की भीड उमडी रहती है। परन्तु हसदेव नदी उद्गम स्थल  उपेक्षा का दंश झेल रहा है, हसदेव नदी का उद्गम ग्राम मेण्ड्रा के एक छोटी सी ढोढी से हुआ है, जहां से निकलने के बाद हसदेव नदी सोनहत होते हुए कोरिया जिले को पार करने के बाद कोरबा जिला पहुचती है, जहां पर बंगो परियोजना एवं एन.टी.पी.सी. के माध्यम से  छ.ग. के साथ – साथ भारत के कई राज्यों को विद्युत कि अपुर्ति कि जाती है उल्लेखनीय है कि हसदेव नदी ने छ.ग.राज्य को विद्युत आपुर्ति के माध्यम से एक पहचान दिलाया है परन्तु शासन स्तर पर यहां के विकास के लिए प्रयास नही किये जाने से हसदेव उदगम उपेक्षा का शिकार हो रहा है।

पूर्व सांसद ने बनवाया था मंदिरOrigin of Hasdeo river 2
हसदेव नदी के उदगम स्थल पर पुर्व सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री डा चरण दास महंत ने स्वयं शिव मंदिर का निर्माण कराया था इसके अतिरिक्त उन्होने शासन स्तर से एक सामुदायिक भवन समेत मुख्य चैक से मंदिर तक पहुच मार्ग का निर्माण भी स्वीकृत कराया था जिसपर निर्माण पुर्ण भी हो चुका है । लेकिन उसके बाद से अभी तक कोई भी विकास अथवा सौदर्य से संबंधित कार्य नही कराए गए है। ग्राम वासी चाहते है की सरकार हसदेव उदगम स्थल पर पर्यटन के संभावनाओं के अनरूप सुविधाओं का विस्तार करे जिससे अमरकंटक अथवा अन्य स्थानों के तर्ज पर हसदेव उदगम स्थल को भी एक पहचान मिल सके

शिवरात्री में लगता है मेला
हसदेव उदगम स्थल पर प्रतिवर्ष शिवरा़त्री के दिन भव्य मेला लगता है जो की दो दिनों तक चलता है इस दौरान यहां पर छत्तीसगढ के अलग अलग जिलों से यहां पर लोग आकर जलाभिषेक करते है उल्लेखनीय है की हसदेव उद्गम क्षेत्र गुरूघासीदास राष्ट्रिय उद्यान से लगा हुआ है, जिससे कई पर्यटक यहाँ घुमने आते रहते है, और इसके दौरान पर्यटक हसदेव उद्गम का भी भ्रमण करते है, परन्तु सुविधाओं के आभाव में पर्यटकों को निराशा लौटना पड़ता है। विकासखण्ड सोनहत के ग्रामीणों ने जानकारी देत हुए बताया की शासन स्तर पर यदि यहां विकास कार्य करा कर इसे एक पर्यटन स्थल का रूप दे दिया जाये तो, पूरे क्षेत्र का विकास हो सकता है, प्रतिदनि पर्यटनों की भीड़ आने से क्षेत्र के बेरोजगार युवकों को रोजगार मिल सकेगा।