कर्मचारी विरोधी फरमान वापस ले सरकार- रमेश तिवारी … छग प्रदेश लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ ने बताया वादाखिलाफी

बलरामपुर. शासकीय कार्यों में मितव्ययिता एवं अनुशासन के नाम पर छ.ग. शासन वित्त विभाग ने आज एक निर्देश जारी किया है. जिसमे कर्मचारियों को जुलाई 2020 एवं जनवरी 2021 में देय वार्षिक वेतन वृद्धि पर आगामी आदेश तक रोक लगा दी गयी है. इससे पूरे प्रदेश के कर्मचारियों में निराशा एवं आक्रोश व्याप्त हो गया है.

छ.ग.प्रदेश लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ बलरामपुर के जिलाध्यक्ष रमेश तिवारी ने इस आदेश को कर्मचारियों से वादाखिलाफी बताते हुये आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग किया है.

रमेश तिवारी ने बताया कि राज्य सरकार अपने किये वादे के विपरीत कर्मचारियों का आर्थिक शोषण कर रही है. जब केन्द्र सरकार ने महगांई भत्ते पर रोक लगाई थी. तो यह आश्वासन मिला था. कि छ.ग. के कर्मचारियों के वेतन भत्तों में किसी भी प्रकार की कटौती नहीं की जायेगी.. लेकिन अब उसके बिल्कुल विपरीत कार्यवाही हो रहा है.

छ.ग. के कर्मचारियों को जुलाई 2019 से ही महगांई भत्ता नहीं दिया जा रहा है. जिससे प्रतिमाह कर्मचारियों को न्यूनतम 2000 से अधिक का नुक़सान हो रहा है. ऐसे में वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक जैसा आदेश कर्मचारियों को हतोत्साहित करने वाला कदम है. ऐसा करने से कर्मचारियों का मनोबल गिरेगा एवं उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होगा.

श्री तिवारी ने कहा कि सरकार कर्मचारियों से भेदभाव कर रही है. इस वैश्विक महामारी के काल मे सभी कर्मचारी जान हथेली पर रखकर शासन की समस्त योजनाओं को क्रियान्वित कर रहे हैं. उन्हें इस कार्य के लिये प्रोत्साहन स्वरूप जोखिम भत्ता एवं कोरोना वॉरियर्स मानकर 50 लाख के बीमा का लाभ देना चाहिये था. लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि कर्मचारियों को मिलने वाला वेतनवृद्धि और महंगाई भत्ता भी रोक दिया गया.

उल्लेखनीय है कि पड़ोसी राज्य उड़ीसा में इसी माह कर्मचारियों के महंगाई भत्ता में 10% की वृद्धि की गई है, जो कि विगत वर्ष जुलाई 2019 से ही गणना करके देय होगा. फिर छत्तीसगढ़ शासन के पास ऐसी क्या आर्थिक विवशता है. कि कर्मचारियों के वेतन भत्तों से कटौती करके उनका दोहन किया जा रहा है?
कोरोना महामारी से निपटने के लिये केन्द्र सरकार के द्वारा पर्याप्त राशि भेजी जा रही है. इसके बावजूद आर्थिक समस्या की बात समझ से परे है.

छ.ग. का यह आदेश कर्मचारियों पर वज्रपात के समान है. यदि इसे वापस नहीं लिया गया. तो समस्त कर्मचारी उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे. जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी शासन की होगी.