गरियाबंद. जिले में किडनी पीड़ितों का गांव कहे जाने वाले सुपेबेड़ा के लोग अब गांव छोड़ रहे हैं। पीछले 6 माह में 20 से भी ज्यादा परिवारों ने घरों में ताला लगाकर अन्य जगहों पर बस गए हैं। दरअसल, इस गांव में विगत 15 वर्षो से 108 किडनी पीड़ितो की मौत हो चुका हैं। आधी-अधूरी सरकारी प्रयासों के चलते बीमार होने का सिलसिला थम नही रहा हैं। ताजा जांच में 35 नए मरीज की पुष्टि हुई हैं। गांव में साफ पानी देने के लिए बनाई गई 12 करोड़ की योजना अब तक शुरू नही हो सकी हैं। पीने के साफ पानी की आधी-अधूरी व्यवस्था से भी लोग गांव छोड़ने को मजबूर हैं। लचर स्वास्थ्य सुविधाओं के चलते किडनी मरीजों को दवा के लिए चक्कर लगाना पड़ रहा हैं। लगातार हो रहे मौत के चलते इस गांव में नए रिश्ते कोई नही बना रहा हैं। मामले पर अफसर जांच के बाद ही कुछ कहने की बात कह रहा हैं।
ग्राम कोटवार गोपाल सोनवानी, केशबो राम व सुखदास क्षेत्रपाल समेत ग्रामीणों का आरोप हैं कि, विगत 15 वर्षों में 108 लोगों की मौत केवल किडनी बीमारी से हुई हैं। रोकथाम के उपाए पर्याप्त नहीं किए गए। तेल नदी का पानी हो या पर्याप्त स्वास्थ्य सेवा या पीड़ित परिवार को रोजगार की व्यवस्था नहीं दिया गया। गांव के हालात नहीं बदले इसलिए गांव छोड़ने को लोग मजबूर हैं।
मामले में जनपद सीईओ प्रतीक प्रधान ने कहा कि, मुझे 10, 12 की सूचना हैं। क्यों गांव छोड़ रहे हैं। कारण व सच्चाई जानने एडिशनल सीईओ के नेतृत्व में एक जांच टीम भेजी जा रही हैं। रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपा जाएगा। मामले की पड़ताल में जो गांव छोड़ने की वजह ग्रामीणों ने हमें बताया, जो तथ्य सामने निकल कर आए वो इस तरह से हैं।