क्रांति रावत, उदयपुर। सन 1965-66 से संचालित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय उदयपुर का भवन अपने सुनहरे दिनों को खोने के बाद खण्डहर में तब्दील हो गया है। परंतु इसकी सुध लेने वाला कोई नही है। ना कोई राजनेता और ना ही कोई वरिष्ठ अधिकारी कर्मचारी। भवन की दुर्दशा का आलम ऐसा है कि शायद ही कोई कमरा हो जो पानी से तर बतर ना होता हो, खपरैल के मकान में आपको घर के भीतर से ही सूर्य देव के दर्शन प्राप्त होते हैं ।
बारिश के मौसम में पानी की बौछारें परेशानियों को थोड़ा और बढ़ा देती हैं। विद्यालय का संचालन इस सत्र में कोरोना वायरस की वजह से नहीं हो रहा है। डर के साये में छात्र-छात्रा अपना भविष्य इसी भवन में बैठ कर गढ़ते नजर आते।
खपरैल के अलावा पक्के के बने कमरों का हाल भी बदतर है। छत एवं छत का प्लास्टर टूट कर गिर रहा है, जिससे कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है।
लकड़ी के कंडी व मयार कई जगह टूटे हुए हैं। जो बारिश में कभी भी धराशाई हो सकते हैं। दीवारों पर आए बड़े-बड़े दरार जैसे किसी बड़े हादसे को अपने पास आने का आमंत्रण दे रहे हैं।
ऐसा नहीं कि उक्त विद्यालय के लिए नवीन भवन की मांग ना की हो, दर्जनों बार मंत्री, विधायक, मुख्यमंत्री से शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय उदयपुर के भवन की मांग की जा चुकी है, परंतु आज तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया, जबकि उक्त विद्यालय से कई नेता और अधिकारी यहां तक कि बड़े-बड़े व्यापारी विद्यालय से पढ़कर आगे आए हैं और अपना भविष्य सुनहरा कर रहे हैं ।
इस विद्यालय में कक्षा नौवीं से बारहवीं तक के छात्र-छात्राओं का अध्ययन कार्य होता है। यहां लगभग 600 छात्र-छात्राएं बीते सत्र में अध्ययनरत रहे है। यहां विद्यालय में कला, वाणिज्य, विज्ञान तथा गणित संकाय की पढ़ाई होती है। विद्यालय में 14 कमरे हैं जिनमें 02 में कार्यालय व स्टाफ रूम तथा एक में प्राचार्य कक्ष है। वर्तमान में यहां एक प्रभारी प्राचार्य, 27 शिक्षक दो चपरासी कार्यरत हैं। विद्यालय में पीने के पानी के लिए तो है परंतु वह भी फ्लोराइड युक्त पानी आता है जिससे परेशानी और बढ़ जाती है। विज्ञान प्रयोगशाला तो है परंतु विज्ञान प्रयोगशाला की अपनी दुर्दशा है, विज्ञान प्रयोगशाला की खिड़कियां टूटी हुई है। कांच के टुकड़े जगह-जगह बिखरे हुए हैं, स्थिति देखने से लगता है कि प्रयोगशाला नहीं कबाड़खाने में आए हुए हैं।
शौचालय की स्थिति और भी बदतर है 02 वर्ष पूर्व पांच लाख रुपये से भी अधिक की लागत से शौचालय एवं टाइल्स लगाने का काम यहां किया गया था, परंतु जिस शौचालय का निर्माण इतने लागत से कराया गया। वहां पर अब उसके दरवाजे टूट चुके हैं पानी की व्यवस्था नहीं है, छात्र-छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। विद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षक-शिक्षिकाओं सहित छात्र छात्राओं ने जल्द से जल्द नए भवन बनाने की मांग की है तथा वर्तमान में एक सत्र के लिए किसी तरह मरम्मत कराने की मांग भी इनके द्वारा की जा रही है।
विद्यालय भवन काफी पुराना है, जर्जर है नए भवन की आवश्यकता है। वर्तमान में पुराना भवन की मरम्मत के लिए शासन से राशि की मांग की गई है, राशि आने पर मरम्मत का कार्य कराया जाएगा।
बीइओ एवं प्रभारी प्राचार्य- शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, उदयपुर
बहुत सी परेशानियां है, पुरानी भवन है। बरसात के समय बच्चों के बैठने की व्यवस्था नही हो पाती है। कई कमरे टूटे फूटे है कभी भी गिर सकते है। दुर्घटनायें घट सकती है।
चांदतारा, व्याख्याता
भवन है, जर्जर है, बरसात के समय कमरों में पानी भर जाता है। जर्जर भवन के संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी को लिखित में सूचना दी गई है।
आदित्य सिंह पैकरा, शिक्षक