सीतापुर/अनिल उपाध्याय। बारिश की आँखमिचौली के बीच क्षेत्र में खेती की शुरुआत हो चुकी है। किसानो ने खेतों में जुताई के साथ बोवाई कार्य शुरू कर दिया हैं। खेतों में बोवाई के बाद किसानों को खाद की जरूरत पड़ती है। किंतु आवक नही होने की वजह से सहकारी समिति में खाद की किल्लत हो गई है। जिसकी वजह से किसानों को खाद नही मिल पा रहा है। खाद के अभाव में किसानों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
मामला आदिम जाति सेवा सहकारी समिति राजापुर का है। खाद की आपूर्ति के अभाव में यहाँ खाद की किल्लत हो गई है। जिसकी वजह से किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। समिति में खाद के अभाव में किसान मायूस होकर खाली हाथ लौटने को मजबूर है। समिति द्वारा संबंधित विभाग को जानकारी देने के बाद भी खाद उपलब्ध नहीं हो पाया। खाद के लिए किसान समिति के चक्कर लगा लगाकर थक चुके हैं। जिसकी वजह से किसान मजबूर होकर दुकानों का रुख कर रहे है। जहाँ वो महंगे दामों में खाद खरीद कर अपनी जरूरतें पूरी कर रहे है। जो किसानों की जेब पर भारी पड़ रहा है।
इस संबंध में चैनपुर निवासी पेशा अध्यक्ष जयमन एक्का ने कहा कि समितियों में खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने सम्बंधित अधिकारी गंभीर नही है। जिसकी वजह से समितियों में खाद की किल्लत बनी हुई है। समय रहते समितियों में खाद की आपूर्ति हो जाती तो ऐसी स्थिति निर्मित नही होती। उन्होंने कहा कि समिति में खाद के अभाव में किसान चक्कर लगा लगाकर परेशान हो रहा है। अंत मे मजबूर होकर किसान महंगे दामों पर दुकानों से खाद खरीदने को मजबूर है। पेशा अध्यक्ष ने प्राथमिकता के साथ समिति में खाद की आपूर्ति किये जाने की मांग की है। ताकि किसानों को खाद के लिए भटकना न पड़े।
आपूर्ति में विलंब इसलिए निर्मित हुई खाद की किल्लत
गोदाम में पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध नहीं होने के कारण समितियों में खाद की कमी बनी हुई है। इसके पीछे खाद की आपूर्ति में विलंब को बड़ी वजह बताया जा रहा है। समयानुसार अगर गोदाम में खाद का भंडारण हो जाता तो ये स्थिति निर्मित नही होती। यही वजह है कि मांगपत्र सौंपे जाने के बाद भी समय पर समितियो में खाद उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। जिसका खामियाजा क्षेत्र के किसानों को भुगतना पड़ रहा है। जिससे किसानों में काफी असंतोष व्याप्त है।
इस संबंध में समिति प्रबंधक अशोक सिदार ने बताया कि समिति में खाद की आपूर्ति हेतु मांग पत्र सौंपा गया है। इसी आधार पर यूरिया की एक खेप समिति में उपलब्ध कराई गई है। जिसे किसानों के बीच वितरण किया जा रहा है।