
अम्बिकापुर। छत्तीसगढ़ में फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर वितरित करने के एक बड़े मामले का खुलासा हुआ है। मणिपुर थाना पुलिस ने इस मामले में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से एक आरोपी को गिरफ्तार किया है, जो वर्षों से नकली प्रमाण पत्र बनाकर लोगों को बेच रहा था। आरोपी ने छत्तीसगढ़ के दर्जनों लोगों के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए थे, जिनमें जिला अस्पताल अम्बिकापुर के रजिस्ट्रार के फर्जी हस्ताक्षर और मुहर का इस्तेमाल किया गया था।
मामला कैसे उजागर हुआ?
प्रकरण की शिकायत डॉ. संटू बाघ, सहायक अधीक्षक, जिला अस्पताल अम्बिकापुर ने 20 मार्च 2024 को मणिपुर थाने में की थी। उन्होंने बताया कि अप्रैल 2013 से पूर्व जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्रों का मैनुअल पंजीयन जिला अस्पताल में नहीं किया गया था, क्योंकि तब तक कोई रजिस्ट्रार नियुक्त ही नहीं किया गया था। बावजूद इसके, कई चॉइस सेंटरों के माध्यम से 2006, 1970, 1984 और 2011 जैसे वर्षों के फर्जी प्रमाण पत्र तैयार किए जा रहे थे।
इन दस्तावेजों में अस्पताल के रजिस्ट्रार के स्कैन किए गए फर्जी हस्ताक्षर और डिजिटल सील का उपयोग कर लोगों को प्रमाण पत्र थमाए जा रहे थे। शिकायत के साथ 6 फर्जी प्रमाण पत्र भी साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किए गए।
पुलिस की सख्त कार्रवाई
शिकायत के बाद मणिपुर थाने में अपराध क्रमांक 97/25 के तहत भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4) BNS के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस की विवेचना में तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर आरोपी की पहचान अक्षय कुमार यादव पिता निर्मल यादव (26 वर्ष), निवासी कोडहरा, थाना दोकटी, जिला बलिया, उत्तर प्रदेश के रूप में हुई।
पुलिस टीम उसे पकड़ने के लिए बलिया रवाना हुई और वहां से उसे गिरफ्तार कर छत्तीसगढ़ लाया गया। पूछताछ में आरोपी ने स्वीकार किया कि उसने लगभग 150 से 200 लोगों के फर्जी प्रमाण पत्र 250 रुपये प्रति दस्तावेज की दर से बनाए थे।