Balrampur: DEO बड़ा या शिक्षक? आखिर BEO की अनुशंसा के बाद भी दफ्तर में कैसे पक रही शिक्षक की नौकरी!

बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार)..प्रदेश में नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो गया है.. स्कूलों में पढ़ाई भी शुरू हो गया है..ऐसे में शिक्षा विभाग एक बार फिर शिक्षको की कमी का रोना रो रहा है..सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे है.. एकल शिक्षकीय और द्वि शिक्षकीय स्कूलों में विद्यार्थी ज्यादा है..बावजूद इसके ऐसे स्कूलों में शिक्षको की कमी को दूर करने की बजाए ..जिला शिक्षा अधिकारी ब्लाक शिक्षा अधिकारी की अनुशंसा को भी दरकिनार कर बैठ गए है!..और लगभग जिले में एकल शिक्षकीय स्कूलों की संख्या में इजाफा हुआ है..ऐसा इसलिए क्योंकि शिक्षक स्कूल की बजाए राजनीतिक रसूख के दम पर विभिन्न कार्यालयों में अटैच है..जबकि शासनस्तर पर शिक्षको के किसी भी दफ्तर में अटैचमेंट नही करने के निर्देश है!.

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बलरामपुर ब्लाक के बरदर में भी एक ऐसा ही प्रायमरी स्कूल है.. बरदर जिलामुख्यालय से सटा हुआ है..जहां के प्रायमरी स्कूल में बच्चे तो 77 है..लेकिन शिक्षक एक है..ऐसे में पांच कक्षाएं और एक शिक्षक ..स्कूल के हेड मास्टर रहे पैतृक तिर्की इसी साल रिटायर हुए है..जबकि दूसरे शिक्षक अखिलेश मिश्रा की बल्ले- बल्ले  है..जो समग्र शिक्षा के कार्यालय में अटैच है..जिन्हे  समग्र शिक्षा के अधिकारियों का वरदान प्राप्त है..इन शिक्षक को मूल शाला वापस करने ब्लाक शिक्षा अधिकारी हरिशंकर सिंह ने भी अनुशंसा की है..बावजूद इसके शिक्षक अखिलेश मिश्रा को मूल शाला वापस करने जिला शिक्षा अधिकारी डी एन मिश्रा कतरा रहे है..जो समझ से परे है!.और अधिकारियों को जानकारी होने के बावजूद भी इस ओर ध्यान नही दिया जाना.. सैय्या भए कोतवाल तो डर काहे का की कहावत को चरितार्थ करता है!.

बहरहाल इस एकल शिक्षकीय स्कूल की कहानी को जानने के बाद जिम्मेदार अधिकारियों को या तो कार्यालय में अटैच शिक्षक को वापस भेज देना चाहिए या फिर उनकी जगह किसी और शिक्षक को उस स्कूल में पदस्थ कर देना चाहिए..ताकि स्कूल में शिक्षा की गुणवत्ता बनी रही!..