रिहाई की मांग को लेकर हुआ आदिवासियों का प्रदर्शन प्रदेश सरकार और नक्सलियों का प्रायोजित आंदोलन : भाजपा

दोहरे चरित्र का परिचय देती प्रदेश सरकार दो साल में भी रणनीति नहीं बना सकी, नक्सलियों के प्रति ‘नरम रुख’ से संदेह और सवाल खड़े हो रहे

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता को हैरत : बस्तर में नक्सली प्रदेश सरकार को ‘हमारी सरकार’ बताकर व्यापक पैमाने पर हिंसा कर रहे हैं

प्रदेश सरकार के नाकारापन के चलते नक्सलियों का सामाजिक जीवन में और दबाव बढ़ने का ख़तरा बढ़ता जा रहा है : संजय

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने बस्तर में आदिवासियों की रिहाई की मांग को लेकर हुए आदिवासियों के प्रदर्शन को प्रदेश सरकार और नक्सलियों द्वारा प्रायोजित आंदोलन बताया है और राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि वह इस मामले में दोहरे चरित्र का परिचय दे रही है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि नक्सली उन्मूलन के लिए लगभग दो साल में भी कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई जा सकी है। नक्सलियों के प्रति प्रदेश सरकार का ‘नरम रुख’ कई संदेह और सवाल खड़े कर रहा है।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री श्रीवास्तव ने कहा कि कांग्रेस ने चुनाव से पूर्व बस्तर में गिरफ़्तार जिन आदिवासियों की रिहाई की बात कही थी, वे वास्तव में नक्सली तत्व हैं और अब प्रदेश सरकार को यह महसूस हो रहा है कि ज़ेलों से उनको रिहा करना करना प्रदेश के लिए घातक हो सकता है। रिहाई की मांग को लेकर नक्सलियों के दबाव से जूझती प्रदेश सरकार इन लोगों की रिहाई से जुड़ी तकनीकी दिक्कतों को लेकर हिचकिचा रही है और ख़ुद की परेशानी से बचने के लिए अब नक्सलियों से अपनी मित्रता निभाती दिख रही है। झीरम घाटी के नक्सली हमले के सबूत पेश नहीं करके भी मुख्यमंत्री बघेल क्या कांग्रेस-नक्सली मित्रता निभा रहे हैं? श्री श्रीवास्तव ने हैरत जताई कि एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर नक्सली उन्मूलन के लिए एक अतिरिक्त बस्तरिया बटालियन की मांग करते हैं, दूसरी तरफ बस्तर में नक्सली प्रदेश सरकार को ‘हमारी सरकार’ बताकर व्यापक पैमाने पर हिंसा कर रहे हैं। प्रदेश सरकार साफ़ करे कि आख़िर यह रिश्ता क्या है? क्या आदिवासियों के नाम पर हुआ यह प्रदर्शन नक्सलियों का शक्ति प्रदर्शन नहीं है, ताकि प्रदेश सरकार इस प्रदर्शन की आड़ लेकर नक्सलियों को रिहा कर दे।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपने पूरे कार्यकाल में आदिवासी हितों की पूरी तरह अनदेखी की है। मौज़ूदा सत्ताधीश विपक्ष में रहते हुए आदिवासियों को नक्सली बताने में नहीं हिचकते थे और और सत्ता में आने के बाद नक्सली बस्तर में मौत का तांडव मचाकर सरेआम आदिवासियों व पुलिस जवानों को जान से मार रहे हैं और प्रदेश सरकार एक आदिवासी जनप्रतिनिधि खूबलाल ध्रुव पर जानलेवा हमाले करने के आरोपी नागू चंद्राकर को मेडिकल बोर्ड की सामान्य रिपोर्ट होने के बावज़ूद राजधानी के मेकाहारा में भर्ती करा विशेष सुविधा दे रही है!

श्री श्रीवास्तव ने कहा कि कोरोना काल में प्रदेश के हर कोनों में लगातार हज़ारों-हज़ार लोगों की शिरकत के साथ हो रहे प्रदर्शन से संक्रमण का ख़तरा नज़रंदाज़ कर प्रदेश सरकार केवल राजनीतिक रोटियाँ सेंकने का उपक्रम कर रही है। बस्तर में वह नक्सलवाद के उन्मूलन के लिए क़तई गंभीर नहीं है, बल्कि वह नक्सलियों के एजेंडे पर काम कर रही है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि जगदलपुर समेत बस्तर के शहरी इलाकों के एकदम क़रीब तक नक्सलियों के बैनर-पोस्टर लगने का यह सीधा संकेत है कि प्रदेश सरकार के नाकारापन के चलते अब छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का सामाजिक जीवन में और दबाव बढ़ने का ख़तरा बढ़ता जा रहा है।