दंतेवाड़ा। बस्तर में नक्सल मोर्चे पर तैनात सुरक्षाबलों के जवान दोहरी भूमिका निभा रहे हैं। नक्सलियों को बंदूक की गोलियों से मुंहतोड़ जवाब तो दे ही रहे हैं, आपात स्थिति में आदिवासियों की मदद कर मसीहा भी साबित हो रहे हैं। बीते मंगलवार को ही गश्त पर निकले डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) के जवानों की मदद से एक प्रसव पीड़िता अस्पताल तक पहुंच पाई और स्वस्थ शिशु को जन्म दिया। महिला का पूरा परिवार जवानों को दुआएं देते नहीं थक रहा है।
बस्तर में कोबरा बटालियन, सीआरपीएफ, डीआरजी, एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) और सीएएफ (छत्तीसगढ़ आर्म्ड फोर्स) के जवान नक्सल मोर्चे पर तैनात हैं। पत्थर का जिगर लेकर मोर्चे पर उतरने वाले इन जवानों के सीने में मोम-सी संवेदनाएं भी हिलोरें मारती रहती हैं। इसका उदाहरण आए दिन सामने आता रहता है। घटना बीते मंगलवार की है। डीआरजी के जवान गश्त पर रेवाली गांव की ओर निकले थे। वे रेवाली के पटेलपारा पहुंचे तो देखा कि गर्भवती कूर्म नंदे (35) पति कूर्म देवा दर्द से तड़प रही थी।
स्वजन ने बताया कि सड़क खराब होने के कारण गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाएगी। ऐसे में जवानों ने फौरन एक चारपाई और रस्सी मंगवाई और उससे कांवर तैयार किया। महिला को सावधानी के साथ उस पर लिटाया और कंधे पर लेकर निकल पड़े। जंगल, पहाड़ी का करीब आठ किलोमीटर दुरूह रास्ता पार कर मुख्य मार्ग तक पहुंचे। तब तक वहां उनकी गाड़ी भी पहुंच गई थी। जवानों ने महिला को गाड़ी से पालनार के स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया। वहां नंदे ने स्वस्थ बालक को जन्म दिया। चिकित्सकों ने बताया कि यदि थोड़ी भी देर हो जाती तो जच्चा-बच्चा दोनों की जान खतरे में पड़ जाती। दरअसल, रेवाली जाने वाली सड़क को नक्सलियों ने दो साल पहले जगह-जगह से काट दिया है। ऐसे में रेवाली तक एंबुलेंस नहीं पहुंच सकती थी।