
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में “डिजिटल अरेस्ट” के बढ़ते मामलों ने साइबर अपराध की गंभीरता को उजागर कर दिया है। बीते कुछ महीनों में ठगों ने खुद को ईडी, पुलिस या बैंक अधिकारी बताकर लोगों को मानसिक दबाव में डालकर ऑनलाइन ठगी का नया रूप अपनाया है, जिसे अब “डिजिटल अरेस्ट” कहा जा रहा है।
मामला 1: महिला से 2.83 करोड़ की ठगी
सैफायर ग्रीन कॉलोनी निवासी महिला सोनिया हंसपाल को क्रेडिट कार्ड का बकाया बताकर फर्जी साइबर अधिकारियों ने अपने जाल में फंसा लिया। मई महीने से चल रही इस ठगी के दौरान सोनिया से 2 करोड़ 83 लाख रुपए वसूले गए। डर और भ्रम की स्थिति में वह लगातार ठगों के निर्देशों पर अमल करती रहीं। विधानसभा थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
मामला 2: दंपत्ति से 8.5 लाख की ठगी
दूसरे मामले में दावड़ा कॉलोनी निवासी विनोद शर्मा और उनकी पत्नी मनोरमा शर्मा को साइबर ठगों ने ईडी अधिकारी बनकर कॉल किया। उन्हें बताया गया कि उनके बैंक खातों में 200 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग की जानकारी सामने आई है और उनका नाम जांच सूची में है।
भयभीत होकर शर्मा दंपत्ति ने ठगों के निर्देश पर उनके खाते में 8.5 लाख रुपए जमा कर दिए। बाद में उन्हें महसूस हुआ कि यह एक धोखाधड़ी है। टिकरापारा थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
क्या है डिजिटल अरेस्ट?
डिजिटल अरेस्ट एक नया साइबर ठगी का ट्रेंड है, जिसमें ठग खुद को सरकारी एजेंसियों (ED, CBI, पुलिस) का अधिकारी बताकर पीड़ित को यह कहकर डराते हैं कि उनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं और वे घर से बाहर नहीं जा सकते। इस बीच, वीडियो कॉल या मोबाइल पर लगातार निगरानी की जाती है, और मानसिक दबाव में आकर पीड़ित उनसे रकम ट्रांसफर कर देते हैं।