पानी की 18 प्रकार की होेती है जांच, लेकिन लोग जागरुकता के अभाव में नहीं पहुंच पाते है लैब तक
कोरिया
(चिरमिरी से रवि कुमार सावरे की रिपोर्ट)
पानी की चांज को लोग जागरुक नहीं हैं और दूषित पानी को कंठ से नीचे उतार रहें है। इसके कारण सवंमित बीमारी की चपेट में आ रहें हैैै, जबकि पानी की जांच के लिए जिले में 2 लैब बनी है हुई। हालांकि जिला मुख्यालय स्थित लैब से मिली जानकारी के अनुसार वार्षिक टारगेट तो पूरा हो रहा है, किंतु यहां वे ही जांच होती है, जो सरकारी तौर पर आ रही है। गौरतलब है कि जिले में 3000 से अधिक निजी बोर है, जिसका इस्तेमाल पीने कके पानी के रुप में किया जाता है। ऐसे में हर समय सवंमित बीमारीयों का अदेंषा बना रहता है।
ब्यूरो आॅफ इंडियन स्टैडर्ड (बीआईएस) के लिहाज से पानी की शृ़द्दता जांचने के करीब 18 मापदण्ड है, किन्तु लोगों में जागरुकता नही होने और जानकारी के अभाव में वे पानी की जांच ही नहीं करवा रहे है। कोरिया जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है और यहां करीब 20 प्रतिषत पानी फ्लोराईड युक्त है। ऐसे में हडिडयां गलना शारीरक व्किृत पैदा होने जैसी बीमारीयो पैर पसार रही है। इधर, पानी पानी में अत्यधिक टीडीएस होने से बदहजमी पेट में गै होना यहां तक किडनी पर विपरित असर पडने जैसे विकृतियां भी देखी जाती है। ऐसे में घरेलु बोरिंग या सार्वजनिक स्त्रोत के पानी की समय -समय पर जांच करवाना जरुरी है।
ये होना चाहिए जांच
मटमैला पानी,पीएच,टीडीएस, क्षारियता(खारापन), क्लोराइड, कुल कठोरता, कैल्षियम, मैग्निषियम, नाईटेªट, लोहा फ्लोराइड, सल्फेट, आर्सनिक, अवषेष क्लोरिन, कुल काॅलिॅफाॅर्म, मल काॅलिफाॅर्म। ऐसी कुल 18 प्रकार की जांचे होती है।
फ्लोराइट का कोई टीटमेंट नही
जिले में पेयजल की बड़ी समस्या फ्लोराइट युक्त पानी की है। बताया जाता रहा कि पानी में फ्लोराइट प्राकृतिक समस्या है, जिसका किसी भी तरह से ट्रीटमेट संभव नहीं है। अब तक जिलेभर में फ्लोराइट युक्त पानी की समस्या बैकुन्डपुर विकासखंड़ और खड़गांवा के आस पास के इलाकों को पाई गई है वही दुसरे नम्बर में सोनहत और भरतपुर के ग्रामीण इलाको में फौरी तौर पर फ्लोराइट युक्त पानी होता है। पर सरकार की निहाग में कुछ ही हैंडपंप में फ्लोराइट पानी है और उसे बंद कर दिया गया है।
दूषित पानी से होती है बीमारी
डां एस एन चावड़ा जिला चिकित्सक अधिकारी
दूषित पानी से कई तरह की बीमारयां फैल रही है। जिला अस्पताल में आने वाले लगभग 50 फिसदी मरीजों में हाथ पैर दर्द करना, हडिडयां कमजोर होना, पथरी, हैजा टाइफाइट, उल्टी-दस्त जैसी बीमारीयां देखी जा रही है। इस तरीके की बीमारी में दूषित एंव भारी पानी पीने से होती है।
कार्यपालन यंत्री पीएचई बिजय मिंज
जिन बोरिंग में फ्लोराइट युक्त पानी मिलता है, उन्हे लाल निषान के साथ बंद कर देते है। शेष जल स्त्रोत के सैंपल समय-समय पर जांच के लि भेजे जाते है।