- रमन सरकार को भंग कर तत्काल राष्ट्रपति शासन लगाया जाये: भूपेश बघेल
- मुख्यमत्री डाॅ. रमन सिंह पर नक्सलियों से सांठ-गाठ का लगाया आरोप
रायपुर
बस्तर सुकमा के बुरकापाल इलाके में नक्सली वारदात में सीआरपीएफ के 25 जवानों की शहादत के बाद जहां सरकार कारणों की समीक्षा में जुटी हुई है तो वही प्रमुख विपक्षी दल कान्ग्रेस ने इस घटना की निंदा करते हुए शियासत तेज कर दी है.. बस्तर सुकमा के बुरकापाल इलाके में नक्सली वारदात में सीआरपीएफ के 25 जवानों के शहादत को नक्सलियों के घिनोनी हरकत बताते हुये प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने इस घटना के लिये सीधे मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को पूर्ण रूपेण जिम्मेदार ठहराया है। सरकार के मुखिया होने के नाते डाॅ. रमन सिंह बस्तर में हो रहे लगातार नक्सली वारदातों के लिये अपनी जिम्मेदारी से किसी तरह नहीं बच सकते। आप 13 वर्षो से युनिफाइड (संयुक्त) कमान के प्रमुख है बावजूद इसके केन्द्रिय पुलिस बल एवं राज्य पुलिस बल के बीच कही कोई समन्वय एवं सामजस्य नही है स्थानीय पुलिस से सहयोग नही मिल पाने के कारण (जिसकी पुष्टि स्वंय घायल जवान ने भी की है ) इस नक्सली वारदात में सीआरपीएफ के जवानों को शहादत देनी पड़ी। भाजपा सरकार के लगातार प्रमुख रहने के बावजूद राज्य में बढ़ रही नक्सली प्रभाव को रोकने में रमन सिंह जी आप पूरी तरह नाकाम रहे है। राज्य सरकार पर नक्सलियों से सांठ-गाठ के भी लगातार आरोप लगते रहे है। मिले कुछ प्रमाणो से इन संदेहो की पूष्टि होती है। सरकार का दामन यदि पाक साफ होता तो झीरम जैसे दहला देने वाली घटना के षड़यत्र पर सरकार परदा डालने पर क्यो लगी रहती है।
जिस कांग्रेस पार्टी को अपने अनेक दिग्गज नेताओं को इस झीरम कांड में खोना पड़ा। उन्हीं के नेताओं द्वारा लगातार घटना के षड़यंत्रो की सीबीआई जांच की मांग को सरकार क्यो अनदेखा करती रहीं है? जिन लोगो पर षड़यंत्र में शामिल होने का संदेह आम जनों के जूबान पर बर्बश ही आ जाता है आखिर सरकार क्यो ऐसे लोगो को बचाने में लगी रहती है। जांच कराने की मांग से क्यो मुंह फेर लेती है? ऐसे कई प्रश्न है जिसके चलते सरकार और नक्सलियों के बीच सांठ-गाठ का अनदेशा होना स्वभाविक रूप से परिलक्षित होता है। सुकमा जहां नक्सली बार-बार अपने खौफनाक वारदातो को अंजाम देकर सैकड़ो जवानों को मौत के मुंह मे ढ़केलने में कामयाब हो जाते है, वही मुख्यमंत्री मोटर सायकल में घूमने का नौटंकी करते है और नक्सली चूं तक नहीं करते किन्तु हजारो की संख्या में सुरक्षा बलो की तैनाती के बावजूद नक्सली यदि वारदात को अंजाम देने का दुःशाहस करने में सफल हो जाते है तो कही न कही लोगो के मन में सरकार के प्रति संदेह उत्पन्न होना लाजमि है।कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने राज्य सरकार पर नक्सली अभियान हेतु प्राप्त केन्द्रिय सरकारी संसाधनो का उपयोग नहीं करने का आरोप लगाते हुये कहा की हैलिकाप्टर होने के बावजूद घटना स्थल पर तत्काल क्यो नही पहुंच पाई जबकि 3 घंटो तक लड़ाई जारी रही जिसके कारण नक्सलियों से भिड़ रहे जवानों को तुरंत बैकअप सपोर्ट नहीं मिल पाया। पास ही में सीआरपीएफ के कैम्प, कोरबा बटालियन कैम्प होने के बावजूद तत्काल बैकअप क्यो नही दिया गया जिसके चलते इतनी बड़ी संख्या में जवानो को जान से हाथ धोना पड़ा।
झीरम कांड के कुछ महीने बाद ही अब के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बस्तर आये थे उन्होंने 15 दिन के अंदर इस कांड के आरोपी को पकड़ लिये जाने की घोषणा की थी किन्तु ढ़ाई साल बाद आरोपीयों के पकड़े जाने की बात तो दूर जब पकड़े गये नक्सलियों की शादी करवाने में पूरा शासन प्रशासन लग जाता है तो जनता सहित विपक्ष के मन में सरकार और नक्सलियों के मिली भगत होने के संदेहो को प्रमाणित करता है।
रमन सरकार शराब बेचने और कमीशनखोरी में व्यस्त है जिसके चलते उनके पास कानून व्यवस्था को ठीक करने का समयाभाव है। सरकार बताये बस्तर के संवेदनशील नक्सली क्षेत्र में कितने जिला पुलिस बल, इस्पेक्टर, सब इस्पेक्टर, एएसआई, एसआई, हेड कांस्टेबल कांस्टेबल तथा कितनी महिला पुलिस बल तैनात है केवल सीआरपीएफ के बदौलत कानून व्यवस्था बना नही सकते। इन दिनो सरकार व अधिकारियों की लड़ाई का खामियाजा आम जनों से लेकर जवानों तक को उठानी पड़ रही है। जिसका सीधा उदाहरण ताडमेटला और मदनवाड़ा के घटना में मृत लगभग 100 जवान इसी क्रम के हिस्सा थे। इस सरकार में नैतिक्ता नाम की चीज नहीं है, हम माननीय राष्ट्रपति महोदय से छत्तीसगढ़ में अविलंब राष्ट्रपति शासन लगाये जाने की मांग करते है।