
अम्बिकापुर..(सीतापुर/अनिल उपाध्याय)..ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने का दावा करने वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) की हकीकत किसी से छुपी नहीं है। ऐसा ही एक शर्मनाक मामला सामने आया है गुतुरमा गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से, जहां एक गर्भवती महिला को रातभर दर्द से तड़पना पड़ा, लेकिन स्वास्थ्यकर्मी और डॉक्टर नदारद रहे। आखिरकार महिला ने घर पर ही बच्चे को जन्म दिया।
तड़पती रही गर्भवती, पीएचसी पर ताला, मदद के लिए कोई नहीं
प्राप्त जानकारी के अनुसार, गुतुरमा निवासी मिथुन गुप्ता की पत्नी को देर रात एक बजे प्रसव पीड़ा शुरू हुई। वे तुरंत अपनी पत्नी को लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, लेकिन वहां गेट पर ताला लगा मिला और न तो कोई डॉक्टर था, न ही कोई स्टाफ नर्स। मिथुन गेट पर काफी देर तक आवाज़ लगाते रहे, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं मिला।
घर में ही कराया प्रसव, बाद में बिगड़ी बच्चे की तबीयत
मजबूरन वे पत्नी को लेकर घर लौट आए। महिला की स्थिति और बिगड़ने लगी। तब मिथुन ने अपने भाई को अस्पताल दोबारा भेजा, जहां एक सफाईकर्मी बाहर निकली और बताया कि स्टाफ नर्स ड्यूटी पर आई ही नहीं है। काफी मशक्कत और डॉक्टर को फोन करने के लगभग एक घंटे बाद स्टाफ नर्स अस्पताल पहुंची। लेकिन जब मिथुन ने नर्स से घर चलकर प्रसव के बाद मां और बच्चे की जांच करने की गुजारिश की, तो उसने साफ इनकार कर दिया। नर्स ने डॉक्टर का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें घर नहीं जाना है, मरीज को अस्पताल लाना होगा।
जबकि उस समय नवजात बच्चा अपनी मां से शारीरिक रूप से जुड़ा हुआ था, ऐसे में उन्हें उठाकर लाना संभव नहीं था। इस रवैये के चलते अस्पताल का माहौल भी कुछ देर के लिए गर्म हो गया। आखिर में जब नवजात की तबीयत बिगड़ने लगी, तब स्टाफ नर्स अन्य सहयोगियों के साथ घर पहुंची और इलाज शुरू किया। तब जाकर मां और बच्चा दोनों की हालत में सुधार आया।
गंभीर सवाल: क्या यही है सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की सच्चाई?
यह घटना न केवल स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि अगर समय पर इलाज नहीं मिला होता, तो एक और जान जा सकती थी। खासकर रात्रिकालीन स्वास्थ्य सेवाओं की हालत दयनीय है। ग्रामीणों का कहना है कि गुतुरमा सहित अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में भी रात के समय स्वास्थ्यकर्मी अक्सर ड्यूटी से गायब रहते हैं।
शिकायत के बाद हरकत में आया स्वास्थ्य विभाग
इस पूरे मामले की शिकायत मिथुन गुप्ता ने बीएमओ से की है और रात्रिकालीन व्यवस्था सुधारने की मांग की है। बीएमओ डॉ. एस.एन. पैंकरा ने बताया कि गुतुरमा पीएचसी में मिली लापरवाही की जांच के लिए टीम गठित कर दी गई है। दोषी पाए जाने पर संबंधित स्वास्थ्यकर्मियों पर कार्रवाई की जाएगी।