
सूरजपुर। जिले में बाल विवाह की कुप्रथा पर अंकुश लगाने प्रशासन ने कमर कस ली है। कलेक्टर एस. जयवर्धन के निर्देश और जिला कार्यक्रम अधिकारी रमेश साहू के मार्गदर्शन में बाल संरक्षण की संयुक्त टीम ने बीते तीन दिनों में पांच बाल विवाहों को सफलतापूर्वक रोका है। इस मुहिम की अगुवाई जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल कर रहे हैं। विवाह के सीजन में बाल विवाह की कोशिशों पर प्रशासनिक टीमें त्वरित कार्रवाई कर रही हैं।
तीन दिन, तीन ब्लॉक, पांच बाल विवाह रोके
14 अप्रैल: प्रतापपुर में 1 बाल विवाह रोका गया
15 अप्रैल: ओड़गी में 1 बाल विवाह रोका गया
16 अप्रैल: ओड़गी में 2 और भैयाथान में 1 बाल विवाह रोका गया
ऑपरेशन के दौरान कई बार दिखा विरोध, फिर भी नहीं रुकी टीम
बाल विवाह रोकने गई टीमों को कई जगहों पर समझाइश देने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। ओड़गी ब्लॉक के एक गांव में जब टीम मौके पर पहुंची, तो पता चला कि परिजन नाबालिग बेटी की शादी करवा रहे थे। टीम ने परिवार को समझाइश दी और बाल विवाह की कानूनी सजा बताई, तब जाकर परिजन विवाह रोकने पर सहमत हुए। इसी गांव में एक दिन पहले भी ऐसी ही सूचना पर टीम ने पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया था, और लगातार फॉलोअप से सफलता मिली।
प्रतापपुर के केस में उलझन और भी गंभीर थी। यहां 20 वर्षीय लड़का और 27 वर्षीय युवती की शादी तय हो चुकी थी। शादी की लगभग सारी तैयारियां पूरी थीं। जब टीम ने जांच की तो पाया गया कि लड़का कानूनी रूप से बालिग नहीं है। यह विवाह परिजनों द्वारा लड़के की जिद पर तय किया गया था।
संयुक्त टीम ने मौके पर मौजूद सभी लोगों को बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 की जानकारी दी, जिसमें बताया गया कि 21 साल से कम उम्र में लड़के की शादी करना अपराध है, जिसकी सजा 1 साल की जेल और 2 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। अंततः परिवार ने विवाह को स्थगित कर दिया।
भैयाथान ब्लॉक के ग्राम सिरसी में रात 9:30 बजे टीम ने मौके पर पहुंचकर परिजनों से बातचीत की। पहले भी वहां की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं पर्यवेक्षक द्वारा समझाइश दी जा चुकी थी। टीम ने विस्तृत रूप से फिर से समझाइश दी और परिजनों ने विवाह को रोकने का आश्वासन दिया। इस पर कानूनी दस्तावेज (पंचनामा और कथन) भी तैयार किए गए।
कलेक्टर की अपील: बेटियों की सुरक्षा में बाल विवाह है सबसे बड़ी बाधा
जिला कलेक्टर एस. जयवर्धन ने जिलेवासियों से अपील करते हुए कहा कि है – “बेटियों की सुरक्षा, शिक्षा और समग्र विकास के लिए बाल विवाह को रोकना बेहद जरूरी है। 18 साल से पहले लड़कियों और 21 साल से पहले लड़कों की शादी कराना कानूनन अपराध है। यदि कोई बाल विवाह की सूचना हो तो तत्काल प्रशासन को सूचित करें। जिले को बाल विवाह मुक्त बनाने हेतु हम सबकी भागीदारी जरूरी है।”
इनकी रही सक्रिय भूमिका
इस अभियान में विशेष रूप से निम्न अधिकारियों और कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही:-
– मनोज जायसवाल – जिला बाल संरक्षण अधिकारी
– ललिता भगत – अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) प्रतापपुर
– जागेश्वर साहू – परियोजना अधिकारी ओड़गी
– मो. इमरान अख्तर – परियोजना अधिकारी भैयाथान
– संतोषी सिंह – प्रभारी परियोजना अधिकारी प्रतापपुर
– लक्ष्मण सिंह – थाना प्रभारी प्रतापपुर
– महिला एवं बाल विकास की पर्यवेक्षक – ज्योति राज, शीला वर्मा, सीमा, प्रियांशी सिंघल, विभा साहू
– काउंसलर जैनेन्द्र दुबे, आउटरीच वर्कर पवन धीवर,
– चाइल्डलाइन से शीतल सिंह, नंदनी खटिक
– चौकी बसदेई से पुलिस स्टाफ
– आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, ग्राम पंचायत प्रतिनिधि और स्थानीय सरपंच बसंत लाल
बाल विवाह रोकने का कार्य प्रशासन के साथ-साथ समाज की भी जिम्मेदारी है। अगर आप अपने आस-पास बाल विवाह होते देखें, तो 1098 या स्थानीय प्रशासन को तत्काल सूचना दें। आइए, मिलकर बचपन को बचाएं और बेटियों का भविष्य संवारें।